सुप्रीम कोर्ट ने 9 जजों की संविधान पीठ ने 1978 के अपने ही फैसले को पलटा, जानें क्या है मामला
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने 9 जजों की संविधान पीठ ने 1978 के अपने ही फैसले को पलट दिया है। 1978 के फैसले में समाजवाद को केंद्र में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि एक समतावादी समाज विकसित करने के लिए सरकार निजी संपत्तियों के साथ ही साथ किसी सामुदायिक संपत्ति को भी आम लोगों की भलाई के लिए बांट सकती है।
मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली बेंच ने आदेश में अब कहा कि 'वर्ष 1978 में जस्टिस कृष्णा अय्यर की बेंच के मुताबिक सभी निजी संपत्तियों को आम लोगों के भले के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।' कोर्ट ने आज के अपने फैसले में कहा कि 1978 का निर्णय समय के अनुरूप नहीं था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि कुछ निजी संपत्तियों को आम लोगों की भलाई के लिए जरूर इस्तेमाल किया का सकता है।
क्या सरकार आम भलाई के लिए वितरण हेतु निजी संपत्तियों को अपने अधीन ले सकता है? सर्वोच्च न्यायालय की नौ न्यायाधीशों की पीठ ने इस मामले पर निर्णय देते हुए कि कहा कि सभी निजी संपत्तियां भौतिक संसाधन नहीं हैं और इसलिए राज्यों द्वारा उन पर अधिकार नहीं किया जा सकता। सर्वोच्च न्यायालय ने बहुमत के निर्णय द्वारा यह नियम बनाया कि सभी निजी संपत्तियां संविधान के अनुच्छेद 39(बी) के तहत 'समुदाय के भौतिक संसाधनों' का हिस्सा नहीं बन सकतीं और राज्य प्राधिकारियों द्वारा "आम भलाई" के लिए उन पर अधिकार नहीं किया जा सकता।
अदालत ने कहा कि 1960 और 70 के दशक में देश की अर्थव्यवथा समाजवादी थी, लेकिन बाद में नीतिगत बदलाव के चलते 1990 के दशक में भारत में खुले बाजार की नीति अपनाने लगा। मौजूदा समय में भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक चुनौतियों से लड़ने के हिसाब से आगे बढ़ रही है।
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ का बहुमत से फैसला
अदलात की 9 जजों वाली संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा कि हर निजी संपति को सामुदायिक भौतिक संसाधन' (community resources) नहीं माना जा सकता है। कुछ खास संसाधनों को ही सरकार सामुदायिक संसाधन मानकर, इनका इस्तेमाल सार्वजनिक हित के लिए कर सकती है, सभी संसाधनों का नहीं।
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