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इस दीवाली आप भी करें उस की सैर जहां कभी भगवान राम और माता सीता झूलते थे झूला, सिर्फ 5000 में पूरा हो जाएगा ट्रिप

ट्रेवल न्यूज़ डेस्क !!! आज से नहीं बल्कि प्राचीन काल से ही अयोध्या नगरी कई राम कथाओं के लिए इतिहास के पन्नों में दर्ज है. 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद भगवान राम के दर्शन के लिए हर दिन हजारों भक्त यहां आ रहे हैं। योध्या में स्थित राम मंदिर की तरह, हनुमान गढ़ी, कनक भवन और दशरथ महल को पवित्र और लोकप्रिय माना जाता है। स्थान, इसी प्रकार यहां स्थित मणि पर्वत को भी एक पवित्र स्थान माना जाता है। मणि पर्वत को भगवान राम और माता सीता से जोड़कर देखा जाता है। इस आर्टिकल में हम आपको मणि पर्वत का मिथक और उसका महत्व बताने जा रहे हैं। आप अपनी अयोध्या यात्रा के दौरान मणि पर्वत के दर्शन भी कर सकते हैं।

मणि पर्वत का इतिहास

मणि पर्वत का इतिहास बहुत ही रोचक और दिलचस्प है। राम नगरी अयोध्या में स्थित इस पर्वत के बारे में कहा जाता है कि इस पर्वत पर भगवान राम को विवाह के बाद बड़ी मात्रा में रत्न उपहार में दिए गए थे। कहा जाता है कि उस समय इतने सारे रत्न मिले थे कि यह रत्नों का पहाड़ बन गया था। इसके बाद इस स्थान को मणि पर्वत के नाम से जाना जाने लगा।

मणि पर्वत की पौराणिक कथा

मणि पर्वत की पौराणिक कथा बहुत ही रोचक है। कहा जाता है कि इस पवित्र पर्वत के बारे में कई किंवदंतियाँ हैं। आइए जानते हैं इन मिथकों के बारे में-

मणि पर्वत का पहला मिथक-

मणि पर्वत का पहला मिथक भगवान राम और माता सीता से जुड़ा है। मान्यता के अनुसार भगवान राम और माता सीता ने इसी पर्वत पर झूला झूला था। मान्यता है कि भगवान राम और माता सीता श्रावण माह में सुबह-सुबह यहां झूला झूलने आते थे।

मणि पर्वत का एक और मिथक बहुत दिलचस्प है। पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि जब हनुमानजी संजीव बूटी पर्वत पर लौट रहे थे तो भरतजी ने उन्हें शत्रु समझकर उन पर आक्रमण कर दिया।

भरत जी के प्रहार से हनुमानजी और पर्वत गिर गए, लेकिन जब हनुमानजी फिर से संजीवनी पर्वत लेकर उड़े तो पर्वत का एक हिस्सा टूटकर अयोध्या में गिरा, जिसे कई लोग मणि पर्वत के नाम से जानने लगे।
 

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