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Pitru Paksha 2024 श्राद्ध और तर्पण के लिए उत्तम मानें गए हैं ये 5 स्थान, यहां पिंडदान से पूर्वजों को मिलता है मोक्ष

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: सनातन धर्म में साल के 16 दिन पितरों को समर्पित होते हैं और इस दौरान वंशज अपने मृत परिजनों को याद कर उनका श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करते हैं माना जाता है कि पितृपक्ष के दिनों में पूर्वज धरती पर आते हैं और अपने वंशजों द्वारा किए गए श्राद्ध तर्पण को स्वीकार करके उन्हें सुख समृद्धि व तरक्की का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

इस साल पितृपक्ष का आरंभ 18 सितंबर दिन बुधवार यानी कल से हो चुका है और इसका समापन 2 अक्टूबर दिन बुधवार को हो जाएगा। ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा भारत के उन पवित्र स्थनों के बारे में बता रहे हैं जहां पूर्वजों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करना श्रेष्ठ माना जाता है मान्यता है कि इन स्थानों पर अगर श्राद्ध और पिंडदान किया जाए तो पूर्वज प्रसन्न हो जाते हैं और उनकी आत्मा शांत होती है साथ ही मोक्ष भी उन्हें प्राप्त होता है तो आइए जानते हैं भारत की उन प्रसिद्ध और पवित्र स्थानों के बारे में। 

पितृपक्ष में जरूर करें इन स्थानों पर श्राद्ध—
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हरिद्वार को हरि का द्वार माना गया है जो कि प्रमुख तीर्थ स्थानों के तौर पर जाना जाता है। पर्व त्योहारों पर यहां गंगा स्नान के लिए श्रद्धालु दूर दूर से आते हैं। पितृपक्ष के दिनों में यहां भारी भीड़ देखने को मिलती है। मान्यता है कि हरिद्वारा में पूर्वजों का पिंडदान और तर्पण करना लाभकारी माना जाता है। श्राद्ध और पिंडदान के लिए वाराणसी काशी भी बेहद ही पवित्र स्थान है माना जाता है बता दें कि यह पवित्र स्थल गंगा के तट पर बसा हुआ है यहां पितृपक्ष के दिनों में पिंडदान करने से पूर्वजों को शांति की प्राप्ति होती है। 

पितरों के श्राद्ध व तर्पण आदि के लिए बोध गया भी बेहद पवित्र स्थान है जो कि फल्गु नदी के तट पर स्थित है देशभर से लोग बोध गया में अपने पितरों का पिंडदान करने के लिए एकत्रित होते हैं। चारधाम यात्रा में  शामिल बद्रीनाथ भी पिंडदान के लिए उत्तम स्थान माना गया है यहां अलकनंद्रा के तट पर ब्रह्म कपाल घाट पर पिंडदान करने से पूर्वज प्रसन्न होकर कृपा करते हैं इसके साथ ही प्रयागराज की भूमि को भी श्राद्ध के लिए उत्तम बताया गया है। गंगा यमुना और सरस्वती नदी के संगम के लिए प्रयागराज जाना जाता है। यहां संगम तट पर लोग अपने पूर्वजों को पिंडदान व श्राद्ध करते हैं। 

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