कैसे हुआ था भैरवबाबा का जन्म और मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में क्यों होती है हनुमान जी से पहले पूजा, वीडियो में देखें पौराणिक कथा

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राजस्थान के दौसा जिले में स्थित मेहंदीपुर बालाजी मंदिर देशभर में एक अनोखी पहचान रखता है। यह मंदिर न केवल आस्था और श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति दिलाने वाले एकमात्र प्राचीन मंदिरों में भी शामिल है। इस मंदिर की एक विशेष बात यह है कि यहां हनुमान जी से पहले भैरव बाबा की पूजा होती है, जबकि सामान्य रूप से अन्य मंदिरों में हनुमान जी की पूजा प्राथमिक मानी जाती है। लेकिन इस मंदिर में परंपरा उलट है, और इसके पीछे एक दिलचस्प पौराणिक कथा जुड़ी हुई है, जो भैरव बाबा के जन्म और उनके योगदान से संबंधित है।

भैरव बाबा का जन्म कैसे हुआ?

पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान शिव के अंश से भैरव बाबा का जन्म हुआ था। जब सृष्टि पर अधर्म और तांत्रिक शक्तियों का प्रभाव बढ़ गया, तब भगवान शिव ने अपने उग्र रूप से काल भैरव को उत्पन्न किया। काल भैरव का जन्म इसलिए हुआ था ताकि वे बुरी शक्तियों, राक्षसों, पिशाचों और भूत-प्रेतों का नाश कर सकें और धर्म की रक्षा कर सकें।

भैरव बाबा को भगवान शिव का रक्षक माना जाता है। वे तंत्र-मंत्र और ऊपरी बाधाओं को नियंत्रित करने वाले देवता हैं। इन्हें विशेष रूप से भूत-प्रेतों के स्वामी और रक्षक देवता कहा जाता है।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में क्यों होती है पहले भैरव बाबा की पूजा?

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में तीन प्रमुख देवताओं की पूजा होती है – बालाजी (हनुमान जी), भैरव बाबा और प्रेतराज सरकार। यहां आने वाले भक्तों को पहले भैरव बाबा की पूजा करनी होती है, उसके बाद ही वे हनुमान जी की पूजा कर सकते हैं।

इसके पीछे कारण यह है कि भैरव बाबा इस मंदिर में सुरक्षाकवच के रूप में उपस्थित हैं। वे सभी नकारात्मक ऊर्जाओं, तांत्रिक प्रभावों और प्रेतात्माओं को मंदिर परिसर से बाहर ही रोक देते हैं। कहा जाता है कि यदि भैरव बाबा की अनुमति नहीं हो, तो कोई भी व्यक्ति बालाजी महाराज की सच्चे मन से पूजा नहीं कर सकता। इसलिए सबसे पहले उनकी पूजा की जाती है, ताकि व्यक्ति शुद्ध और ऊर्जावान होकर हनुमान जी के दर्शन कर सके।

प्राचीन कथा: जब बालाजी ने मांगी भैरव बाबा की मदद

एक कथा के अनुसार, जब इस क्षेत्र में तांत्रिक शक्तियों और प्रेतात्माओं का प्रकोप चरम पर था, तब बालाजी महाराज ने स्वयं भैरव बाबा को आह्वान किया। भैरव बाबा ने पूरे क्षेत्र की सुरक्षा का भार उठाया और तभी से यह परंपरा बन गई कि बालाजी के दर्शन से पहले भैरव बाबा को प्रसन्न करना आवश्यक है।

वीडियो में देखें पूरी पौराणिक कथा

इस अद्भुत पौराणिक कथा और मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की रहस्यमयी परंपराओं को जानने के लिए हमारा विशेष वीडियो देखें, जिसमें बताया गया है कि कैसे भैरव बाबा का जन्म हुआ, वे क्यों कहलाते हैं रक्षक देवता, और क्यों हनुमान जी से पहले होती है उनकी पूजा।

निष्कर्ष

भैरव बाबा और मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की यह पौराणिक परंपरा केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यंत गूढ़ और प्रभावशाली है। यह हमें सिखाती है कि भक्ति और शक्ति के बीच संतुलन होना कितना आवश्यक है, और कैसे हर परंपरा के पीछे एक गहरी आध्यात्मिक रहस्य छिपा होता है।