गेंदे के फूल का पूजा में महत्व: जानें इसके रहस्य

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गेंदे के फूल का महत्व


लाइव हिंदी खबर :- यह वह समय होता है जब गर्मी और सर्दी का मिलन होता है, और इस दौरान गेंदे के फूल चारों ओर खिलखिलाने लगते हैं। इस पर्व का स्वागत भी गेंदे के फूल से किया जाता है, क्योंकि यह मौसम में आसानी से उपलब्ध होते हैं और इनका धार्मिक महत्व भी है।


1. गेंदे का रंग केसरिया होता है, जो विजय, खुशी और उत्साह का प्रतीक है। इस फूल का धार्मिक महत्व अन्य फूलों की तुलना में अधिक है। जबकि गुलाब और चमेली जैसे कई सुगंधित फूल भी हैं, गेंदे का रंग शुभता का प्रतीक माना जाता है।


इनके चमकीले रंग से मन प्रसन्न हो जाता है। केसरिया मिश्रित पीला या लाल मिश्रित पीला रंग पूजा के लिए सर्वोत्तम माना जाता है, और यह पर्व के प्रति प्रेम, सम्मान और खुशी का प्रतीक है।


2. इसका धार्मिक महत्व भी विशेष है। विजय पर्व पर गेंदे को सजाने और पूजा में चढ़ाने का महत्व है। इसे सूर्य का प्रतीक भी माना जाता है। प्राचीन ग्रंथों में इसे सुंदरता और ऊर्जा का प्रतीक माना गया है। ये फूल बिना शब्दों के ही विजय पर्व की खुशी व्यक्त कर देते हैं।


3. इसे दिव्य शक्तियों और सत्य का प्रतीक माना गया है। इसके लाल और पीले रंग को भगवान के प्रति समर्पण का प्रतीक माना जाता है। इसकी सुगंध नकारात्मक शक्तियों को दूर करती है और तनाव को कम करती है। यह वातावरण में शांति लाने वाला होता है।


4. गेंदे के फूल में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से बचाने के गुण होते हैं। यह सजावटी फूल कीट-पतंगों और मच्छरों को दूर रखने में मदद करता है। अनुसंधान से पता चला है कि यह कान के संक्रमण को दूर करने में सक्षम है और यह प्राकृतिक रूप से एंटीसेप्टिक भी है।


5. दशहरा आते ही गेंदे के फूलों की कीमत आसमान छूने लगती है। इसे मेरीगोल्ड भी कहा जाता है, लेकिन भारत में इसे गेंदे के नाम से जाना जाता है। संस्कृत में इसे स्थूलपुष्प कहा जाता है। इन फूलों को विशेष रूप से सांगली, सतारा और बैंगलोर से मंगवाया जाता है। दशहरे से लेकर दीपावली तक इनकी बिक्री करोड़ों में होती है।