बीमारियों का इलाज: दवाइयों की आवश्यकता और लक्षणों की पहचान

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बीमारियों के प्रति लापरवाही न करें

लाइव हिंदी खबर (हेल्थ कार्नर) :- कुछ लोग बीमार होने पर भी दवा लेने से कतराते हैं। उन्हें लगता है कि बिना दवा के ही सर्दी, खांसी, जुकाम या चोट ठीक हो जाएगी। चिकित्सकों का कहना है कि जो हल्की बीमारियों को नजरअंदाज करते हैं, वे बाद में गंभीर समस्याओं का सामना कर सकते हैं। आमतौर पर लोग मानते हैं कि सर्दी-खांसी-बुखार अपने आप 7-8 दिन में ठीक हो जाते हैं।


हालांकि, यह सच है कि बीमारी का ठीक होना हमारे इम्यून सिस्टम पर निर्भर करता है। जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, वे जल्दी बीमार पड़ जाते हैं और ठीक होने में भी अधिक समय लेते हैं। इसलिए, यह जरूरी नहीं है कि यदि आपका मित्र या पड़ोसी 5-6 दिन में ठीक हो जाता है, तो आप भी उतनी जल्दी ठीक हो जाएंगे। इसलिए दवा न लेने की जिद छोड़ दें।


बुखार और उसके लक्षण


बुखार – कारण: मौसम में बदलाव, बैक्टीरिया, वायरल या अन्य संक्रमण।

लक्षण: 99 डिग्री सेल्सियस से अधिक बुखार, बार-बार जी मिचलाना, वजन कम होना, मुंह का कड़वा होना और किसी काम में मन न लगना। ये मलेरिया, डेंगू या निमोनिया के संकेत हो सकते हैं।
इलाज: घबराएं नहीं और डॉक्टर को अपने लक्षणों के बारे में बताएं, साथ ही सभी आवश्यक जांचें कराएं।


पेटदर्द और उसके कारण

पेटदर्द – कारण: दूषित खाद्य या पेय पदार्थ (फूड पॉइजनिंग), असंतुलित आहार या अनियमित दिनचर्या।

लक्षण: पेटदर्द के साथ उल्टियां, दस्त, खाना हजम न होना, भूख न लगना, हल्का दर्द रहना, रात को दर्द का अचानक बढ़ जाना। ये फूड पॉइजनिंग, डायरिया या पेट की पथरी के लक्षण हो सकते हैं।
इलाज: डॉक्टर की सलाह लें और खानपान में सुधार करें। खाने के बीच में ज्यादा गैप न रखें, अन्यथा गैस्ट्रिक समस्या हो सकती है।


सर्दी, जुकाम और कान दर्द

सर्दी या जुकाम – कारण: मौसम में बदलाव, एलर्जी, खानपान में लापरवाही और दिनचर्या में अचानक बदलाव।

लक्षण: नींद न आना, घबराहट, लगातार सिरदर्द, टॉन्सिल, बदनदर्द, बुखार। यदि जुकाम एक हफ्ते से अधिक समय तक रहता है, तो स्थिति गंभीर हो सकती है।
इलाज: तुरंत फिजिशियन से संपर्क करें।


कान दर्द – कारण: कान में पानी जाना, संक्रमण, घाव या कान में कोई ठोस वस्तु।
इलाज: किसी भी समस्या पर ईएनटी विशेषज्ञ से मिलें। कान में तेल डालने या घरेलू उपचार न करें।


हल्की चोट का उपचार

हल्की-फुल्की चोट –

साधारण चोट, कटने या जलने पर जरूरी नहीं कि अस्पताल जाना पड़े, लेकिन फर्स्ट एड और टिटनस का इंजेक्शन लगवाना आवश्यक है। इससे घाव जल्दी भरता है और संक्रमण नहीं फैलता। चोट लगने पर सूजन या मोच आने पर दर्द निवारक बाम लगाकर मालिश करें।