आयकर विभाग ने चार कानूनों के तहत खर्चों पर कटौती पर लगाया प्रतिबंध

गुरुवार को आयकर विभाग ने स्पष्ट किया कि करदाताओं को सेबी अधिनियम और प्रतिस्पर्धा अधिनियम जैसे चार विशेष कानूनों के तहत शुरू की गई कार्यवाहियों के निपटान पर खर्चों की कटौती का दावा करने की अनुमति नहीं होगी। इनमें भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992; प्रतिभूति अनुबंध (विनियमन) अधिनियम, 1956; डिपॉजिटरी अधिनियम, 1996; और प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 शामिल हैं। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 23 अप्रैल को एक अधिसूचना जारी कर यह जानकारी दी।
सीबीडीटी ने बताया कि इन चार कानूनों के तहत किसी भी उल्लंघन या चूक के संबंध में शुरू की गई कार्यवाही के निपटान पर किए गए खर्चों को व्यवसाय या पेशे के उद्देश्य से किए गए खर्चों के रूप में नहीं माना जाएगा।
न्यायिक बहस का विषय
सीबीडीटी ने यह भी कहा कि इस कारण ऐसे खर्चों पर कोई कटौती या भत्ता नहीं दिया जाएगा। एकेएम ग्लोबल के टैक्स पार्टनर अमित माहेश्वरी ने बताया कि आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 37(1) के तहत निपटान भुगतान की कटौती हमेशा से न्यायिक बहस का विषय रही है। इससे पहले, वाणिज्यिक सुविधा के आधार पर सेबी को दिए गए सहमति शुल्क को व्यावसायिक खर्च के रूप में स्वीकार किया गया था।
कानून में संशोधन
हालांकि, माहेश्वरी ने बताया कि सीबीडीटी ने वित्त अधिनियम, 2024 के माध्यम से कानून में संशोधन किया है और इसे अधिसूचित कर दिया है। अब भारत में या भारत से बाहर सेबी अधिनियम, प्रतिभूति संविदा (विनियमन) अधिनियम, डिपॉजिटरी अधिनियम और प्रतिस्पर्धा अधिनियम के तहत कार्यवाही के निपटान के लिए किए गए किसी भी खर्च को कटौती के लिए पात्र नहीं माना जाएगा।
इससे न्यायाधिकरण के पुराने निर्णय प्रभावी रूप से निरस्त हो जाएंगे और कर परिदृश्य में आवश्यक स्पष्टता आएगी। हालांकि, FEMA और RBI के निर्देशों जैसे अन्य नियामक कानूनों के तहत 'ग्रे एरिया' अभी भी बना हुआ है।