टूटने के बाद भी शिवलिंग कभी खंडित नहीं होता, क्योंकि..
शिव ही एक मात्र ऐसे भगवान हैं जिनका पूजन शिवलिंग रूप में किया जाता है। शिवजी का पूजन लिगं रूप में ही सबसे ज्यादा फलदायक माना गया है। महादेव का मूर्तिपूजन भी श्रेष्ठ है लेकिन लिंग पूजन सर्वश्रेष्ठ है। सामान्यत: सभी देवी-देवताओं की मूर्तियां कहीं से टूट जाने पर उनकी प्रतिमाओं को खंडित माना जाता है लेकिन शिवलिंग किसी भी परिस्थिति में खंडित नहीं माना जाता है।शास्त्रों के अनुसार शिवजी का प्रतीक शिवलिंग कहीं से टूट जाने पर भी खंडित नहीं माना जाता।
जबकि अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा खंडित होने पर उनका पूजन निषेध किया गया है। जबकि शिवलिंगकहीं से टूट जाने पर भी पवित्र और पूजनीय माना गया है। ऐसा इसलिए है कि भगवान शिव ब्रह्मरूप होने के कारण निष्कल अर्थात निराकार कहे गए हैं। भोलेनाथ का कोई रूप नहीं है उनका कोई आकार नहीं है वे निराकार हैं। महादेव का ना तो आदि है और ना ही अंत। लिंग को शिवजी का निराकार रूप ही माना जाता है। केवल शिव ही निराकार लिंग के रूप में पूजे जाते है। इस रूप में समस्त ब्रह्मांड का पूजन हो जाता है क्योंकि वे ही समस्त जगत के मूल कारण माने गए हैं।
शिवलिंग बहुत ज्यादा टूट जाने पर भी पूजनीय है। अत: हर परिस्थिति में शिवलिंग का पूजन सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला जाता है। शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग का पूजन किसी भी दिशा से किया जा सकता है लेकिन पूजन करते वक्त भक्त का मुंह उत्तर दिशा की ओर हो तो वह सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
हिन्दू धर्म का इतिहास अति प्राचीन है। इस धर्म को वेदकाल से भी पूर्व का माना जाता है, क्योंकि वैदिक काल और वेदों की रचना का काल अलग-अलग माना जाता है। यहां शताब्दियों से मौखिक परंपरा चलती रही, जिसके द्वारा इसका इतिहास व ग्रन्थ आगे बढते रहे। हिंदू धर्म में देवी-देवताओं को रिती-रिवाजों से पूजन किया जाता है। हम ऐसा भी देखते है कि मंदिर या घर में कोई भी मूर्ति खंडित होने के बाद उसकी पूजा नहीं होती है। आइए जानते है आखिर क्यों किसी मूर्ति के खंडित होने के बाद उसे बहते जल में विसर्जित या वटवृक्ष के नीचे रख दिया जाता है।
हिन्दू धर्म के अनुसार, माना जाता है कि जिस मूर्ति को हम पूजते हैं उसमें प्राण होते हैं इसलिए उनके टूटने के बाद प्राण चले जाते हैं और आराधना नहीं की जाती है। वहीं वास्तु के अनुसार ऐसा माना जाता है कि खंडित मूर्ति घर में नकारात्मकता लेकर आती है और उसका पूजन किया जाए तो घर में अशांति का कारण बनती है। वहीं शिवलिंग के खंडित होने पर भी उसका पूजन किया जाता है। भगवान भोलेनाथ के पूजन के लिए दो विधियों का इस्तेमाल किया जाता है। महादेव की पूजा मूर्ति और शिवलिंग के रुप में की जाती है। हिंदू शास्त्रों की मान्यता के अनुसार किसी भी खंडित मूर्ति का पूजन अशुभ माना जाता है। भगवान शिव ब्रह्मरुप हैं और उनका पूजन हर रुप में किया जाता है। शिवलिंग किसी स्थान से टूट जाए, तो उसे दूसरे से बदलने की परंपरा नहीं होती है।
पौराणिक शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव की जन्म-मृत्यु से कोई वास्ता नहीं है। शिव का ना कोई आदि है और ना ही कोई अंत माना जाता है। शिवलिंग को ही शिवजी का निराकार रुप माना जाता है। वहीं शिव मूर्ति को उनका साकार रुप माना जाता है। भगवान शिव को ही निराकार रुप में पूजा जाता है। मूर्ति और चित्रों में शिवजी के जिस रुप को दर्शाया जाता है वो कल्पना मात्र है, उनका किसी रुप-रंग से कोई मेल नहीं होता है। यही कारण से शिवलिंग को कभी भी खंडित नहीं माना जाता है।
वहीं घर में पूजे जाने वाली किसी भी अन्य देवी-देवता की खंडित मूर्ति को रखना और पूजा जाना अशुभ माना जाता है। जिस तरह से व्यक्ति को चोट लगती है तो वो उसका ईलाज करवाता है। उसी तरह भगवान की मूर्ति को भी खंडित रुप में नहीं रखा जाता है। यदि खंडित मूर्ति का पूजन किया जाता है तो भक्त का ध्यान उस खंडित हिस्से पर ही जाता है जिस कारण उसकी पूजा सफल नहीं हो पाती है।
इसको पढ़ना ना भूले..
Next Story