पहलगाम में आपका स्वागत है...! आतंकी हमले से लहूलुहान कश्मीर फिर अपने कदमों पर खड़ा होने की कोशिश में
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को एक दुखद आतंकी हमला हुआ। इस हमले के बाद से यहां का माहौल बदल गया है। पर्यटकों की चहल-पहल कम हो गई है और डर का माहौल है। पर्यटन रुकने से स्थानीय अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो रही है। लेकिन, हाल ही में यहां कुछ युवाओं ने एकजुटता का प्रदर्शन किया है।श्रीनगर के कुछ युवा अपनी लग्जरी कारों के साथ पहलगाम की सड़कों पर उतरे। उनकी कारों पर आतंकवाद के खिलाफ एकजुट के स्टिकर लगे थे। उनका संदेश साफ था कि आतंकवाद कश्मीर को परिभाषित नहीं करेगा। शांति, शक्ति और एकजुटता ही कश्मीर की पहचान होगी। एएनआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह प्रयास कश्मीर की गरिमा को वापस लाने और नागरिकों को यह विश्वास दिलाने के लिए था कि कश्मीर अभी भी आगंतुकों का स्वागत करता है। समर्थन की जरूरतश्रीनगर के एक प्रतिभागी इम्तियाज ने कहा, 'यहां जो हुआ वह वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण था। इसलिए हम यहां आए हैं। हम किसी फाउंडेशन या संगठन का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। हम सिर्फ दोस्तों का एक समूह हैं। हम यहां जागरूकता बढ़ाने और कश्मीर में जो हुआ उस पर गहरा दुख व्यक्त करने आए हैं। हम चाहते हैं कि लोग इस जगह पर भरोसा करते रहें। इसमें कुछ समय लग सकता है, लेकिन सभी को एक-दूसरे का समर्थन करने की जरूरत है।'उन्होंने आगे कहा, 'हर किसी का अपना तरीका होता है। कुछ एथलीट हैं तो कुछ के पास अलग-अलग प्लेटफॉर्म हैं। हम अपने प्लेटफॉर्म का उपयोग जागरूकता फैलाने के लिए करना चाहते थे। कारों के साथ हमारा एक गहरा संबंध है। जो लोग यहां आए हैं, वे फिर आएंगे क्योंकि वे जानते हैं कि हम हमेशा उनका स्वागत करेंगे।' 'सभी कश्मीरी जिम्मेदार नहीं'एक अन्य प्रतिभागी कबीर ने बताया, 'हम श्रीनगर से हैं। हम यहां आए हैं, क्योंकि हम एक छोटा समूह चलाते हैं जो आसपास के स्थानों पर ड्राइव पर जाता है। इसलिए, सभी एक साथ आए और कहा, 'हमें मीडिया और सोशल मीडिया पर एक संदेश देना होगा कि कश्मीर को जैसा अभी चित्रित किया जा रहा है, वैसा नहीं है।' कश्मीरी आतंकवादी नहीं हैं। सभी कश्मीरी जिम्मेदार हैं।'उन्होंने आगे कहा, ‘कल से मेरे कई दोस्तों ने फोन करके पूछा कि पहलगाम कैसे पहुंचें, क्योंकि सब कुछ बंद है। इसलिए हमने सोचा, चलो खुद जाते हैं और दिखाते हैं कि अगर हम वहां पहुंच सकते हैं। तो आप भी पहुंच सकते हैं और इस सारे डर को खत्म कर सकते हैं।’ क्या है प्लान?कबीर ने कहा, ‘हम अपनी कारों की रील्स पोस्ट करेंगे और तस्वीरें साझा करेंगे ताकि दिखाया जा सके कि हम कश्मीर में हैं, विशेष रूप से पहलगाम में। सब कुछ सामान्य है। हम लग्जरी कारों में आए और किसी ने हमें परेशान नहीं किया। कोई भी किसी को परेशान नहीं कर रहा है। लोग पुलिस को दोष दे रहे हैं। कह रहे हैं कि वे लोगों को जाने नहीं दे रहे हैं और सेना को दोष दे रहे हैं। लेकिन यह सब बाहर बैठे लोग बता रहे हैं, जिन्हें यहां क्या हो रहा है, इसका ABC भी नहीं पता है। हम एक संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि कश्मीर को एक और मौका दें।’ क्या था रैली का मकसद?पहलगाम की घटना के बाद कश्मीर के युवाओं ने दिखाया कि वे आतंकवाद से डरने वाले नहीं हैं। उन्होंने अपनी कारों के साथ सड़कों पर उतरकर यह संदेश दिया कि कश्मीर में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए वे एकजुट हैं। उन्होंने पर्यटकों को वापस आने और कश्मीर को एक और मौका देने का आग्रह किया।इस कार रैली का उद्देश्य केवल यह संदेश देना था कि कश्मीर के लोग आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हैं और वे अपने राज्य में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस रैली में भाग लेने वाले युवाओं ने कहा कि वे कश्मीर के लोगों को यह संदेश देना चाहते हैं कि वे अकेले नहीं हैं। उन्होंने कहा कि वे उनके साथ खड़े हैं और वे मिलकर आतंकवाद का मुकाबला करेंगे।
कितना है कारोबार?कश्मीर में हर साल पर्यटन उद्योग से लगभग 12,000 करोड़ रुपये की कमाई होती है। अनुमान है कि साल 2030 तक यह उद्योग बढ़कर 30,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले कुछ समय से यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या काफी बढ़ने लगी थी। लेकिन पहलगाम में पर्यटकों पर हुए हमले के बाद यहां की टूरिज्म इंडस्ट्री पर ब्रेक लग सकते हैं। यानी कश्मीर की 12 हजार करोड़ रुपये की टूरिज्म इंडस्ट्री पर खतरा मंडराने लगा है। कश्मीर आए पर्यटकों की संख्याकश्मीर में साल 2024 में 2.36 करोड़ करोड़ पर्यटन आए। पिछले कुछ सालों से यह संख्या लगातार बढ़ रही है। इससे पहले साल 2023 में यह संख्या 2.11 करोड़ थी। साल 2022 में यह संख्या 1.88 करोड़ और साल 2021 में 1.13 करोड़ थी। साल 2024 में कश्मीर में 65000 से ज्यादा विदेशी पर्यटक आए। अगर कश्मीर में पर्यटक नहीं आएंगे तो यहां के लोगों का धंधा चौपट हो सकता है। यही कारण है कि स्थानीय लोग कश्मीर आने की अपील कर रहे हैं।
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