सुल्तानपुर हत्याकांड: कभी कही जाती थी राम लक्ष्मण की जोड़ी, फिर ऐसा क्या हुआ कि अजय यादव बन गया हत्यारा

Hero Image
अज़हर अब्बास, सुल्तानपुर: उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में पिता-पुत्र की हत्या कर दी गई थी। इसके कुछ दिन बाद हत्या करने वाला हत्यारोपी ने भी खुदखुशी कर ली थी। सत्य प्रकाश यादव और अजय यादव इन दोनों भाइयों की कभी गांव में मिसाल दी जाती थी। दोनों राम-लक्ष्मण की तरह रहते थे। अक्सर एक ही बुलेट पर साथ बैठकर बाजार जाते थे। भाई के प्रधानी चुनाव में उसने खुलकर साथ दिया, घर-घर जाकर वोट मांगा।
अंत में उसे प्रधान बनाया, लेकिन इधर कुछ महीनों में दोनों में न जाने कैसे इतना मतभेद हो गया कि अजय यादव अपने बड़े भाई पूर्व प्रधान सत्य प्रकाश यादव का दुश्मन हो गया। क्या पता था कि वो इतना जालिम हो जाएगा कि एक दिन अपने भाई और पिता का ही खून कर देगा। ऐसा सहरी गांव के लोगों का कहना है। कूरेभार थाना क्षेत्र के सहरी गांव की घटनासुल्तानपुर जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर जूड़ापट्टी ग्राम सभा के सहरी गांव में शनिवार को सातवें दिन भी सन्नाटा पसरा हुआ है। पूर्व प्रधान सत्य प्रकाश यादव का मकान का मुख्य गेट बंद है।
खास रिश्तेदारों से ही परिवार मिल रहा है, वो भी दूसरे गेट से अंदर जाने पर। सामने ही छप्पर नुमा एक बैठका है। यहां पर आसपास जिले के दारोगा सिपाही के साथ महिला सिपाही बैठी हुई हैं। यहां हमने परिवार से बात करने की कोशिश की, लेकिन सबने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। हम यहां से आगे बढ़े। नई उम्र का एक लड़का मिला, जिसने अपना नाम नहीं बताया। कैमरे पर भी आने से मना करते हुए कहा अब परेशान न होइए ये परिवार का मामला था, आज नहीं तो कल सब एक हो जाएंगे। बस विरोधी कामयाब हो गए हैं, इतना कहकर वो आगे बढ़ गया। घर पर अभी भी पुलिस फोर्स तैनातसत्य प्रकाश और उनके हत्यारे भाई अजय के घर में 30 मीटर की दूरी है।
यह पुश्तैनी मकान है, जिसे सत्य प्रकाश ने ही मेनटेन करा रखा है। इसमें अजय के साथ उसके छोटे भाई विजय का परिवार भी रहता है। वर्तमान में विजय परिवार को लेकर दिल्ली में रह रहा है। यहां गेट खुला हुआ था। अंदर जाने पर बाएं हाथ पर बरामदे और दो कमरों में दारोगा सिपाही बैठे हुए थे। अजय ने जहां किया सुसाइड, वह पुलिस के कब्जे में अंदर गैलरी का वो एरिया, जहां मंगलवार शाम अजय ने गोली मारकर आत्महत्या की, उसे पुलिस ने सील कर रखा है। यहां हमें खास सफलता नहीं मिली तो हम फिर वापस लौटे। रास्ते में जो हम मीडिया कर्मियों को देखता वो महिला पुरुष कतरा कर किनारे हो जाते।
पड़ोसी महिलाओं ने क्या कहामहिलाओं से हमने पूछा अजय कब से ऐसा था, जवाब मिला बचपन से ही वो गुस्से वाला था। जिद्दी एक नंबर का था। जो जिद करता उसे बाप से पूरा करा लेता। काफी समय से तो वो यहां रहता नहीं था। वो बाहर सोनीपत में बेकरी का काम करता था। इधर, डेढ़ साल पहले आया तो वापस नहीं गया। बहुत सज्जन व्यक्ति थे सत्य प्रकाशहमने उनसे पूछा सत्य प्रकाश कैसे थे, तो फूलमती ने बताया कि वो तो बहुत सज्जन व्यक्ति थे। सबके सुख-दुःख में खड़े रहते। रात एक-दो बजे भी कोई बीमार होता तो गाड़ी से लेकर अस्पताल जाते। कभी किसी के साथ गलत नहीं किया।
पहले बहुत गरीब था परिवारमहिलाओं ने ये भी बताया कि अब तो परिवार में खुशहाली आई थी। सत्य प्रकाश के पिता गोबर गैस प्लांट के राजगीर (मिस्त्री) थे। परिवार जैसे-तैसे पल रहा था। 2010 में सत्य प्रकाश ने प्रधानी का चुनाव लड़ा और हार गए, लेकिन 2015 में जिससे चुनाव हारे उसे ही चुनाव हराकर वे प्रधान बन गए। 2020 में सीट एससी हुई तो उन्होंने गांव के ही रामजी को चुनाव लड़ाया और फिर प्रधानी उनके ही पास रही। सत्य प्रकाश ने 10 साल में बदल दी घर की स्थिति महिलाओं ने बताया कि 10 वर्षों में सत्य प्रकाश ने घर की स्थिति बदल दी।
मकान बनाया और परिवार को संभाला, लेकिन हंसते खेलते परिवार को किसी की नजर लग गई। उनके विरोधियों ने साजिश रचकर परिवार को बर्बाद कर डाला। पहले दोनों भाई साथ में रहते थे। प्रधानी के चुनाव के समय दोनों ने साथ मिलकर वोट मांगे। चुनाव में अजय ने बहुत मेहनत की थी। दोनों एक ही बुलेट पर निकलते थे। हर समय साथ में ही रहते थे। चुनाव जीतने के 4 महीने बाद ही दोनों में मनमुटाव रहने लगा। फिर अजय अपने भाई सत्य प्रकाश का दुश्मन बन गया। बेटे ने पुलिस को दी तहरीरवो कौन थे विरोधी इस पर महिलाएं चुप हो गईं। हमने प्रधान रामजी से भी जानने की कोशिश की, लेकिन वे यह कहकर चुप हो गए कि हम कुछ नहीं जानते हैं, सत्य प्रकाश भैया ही सब देखते थे।
हमने पूछा कि अगला चुनाव फिर लड़ेंगे तो उन्होंने कहा कि अब चुनाव नहीं लड़ना। विरोधियों की बात अगर की जाए तो राजदेव सिंह, श्याम सिंह, कक्कू सिंह, रती पाल शुक्ला पूर्व प्रधान से रंजिश रखते थे। ये नाम सत्य प्रकाश के बेटे रितेश ने पुलिस को एक तहरीर में लिखकर दिए हैं। मरने से पहले पछता रहा था अजययही नहीं अजय के सुसाइड के बाद उसके भाई विजय ने भी पुलिस को बताया कि मरने से पहले अजय हमसे गले लगकर रोया। उसने कहा कि हमें पछतावा है, उन लोगों (यही नाम जो लिखा गया) ने चढ़ाया, पिलाया खिलाया और कहा कि मार दो आगे हम देख लेंगे।
इनमें से कुछ वो हैं, जो सत्तारूढ़ दल के एक माननीय के करीबी हैं, इसीलिए परिवार बार-बार आरोप लगा रहा है कि थाने की पुलिस इन आरोपियों को बचा रही है और केस में नाम नहीं जोड़ रही। घर की तीन महिलाएं हुईं विधवाजहां अजय ने पिता भाई को गोली मारकर मां और भाभी को विधवा किया, वहीं उसे संरक्षण देने में जेल गई उसकी खुद की पत्नी उसके कारण ही विधवा हो गई। अजय के दो बेटे अनुभव (12) और आदित्य (10) हैं। जो बुधवार शाम अपने मौसा के साथ शहर स्थित घाट पर पहुंचे और पिता का शव देखकर रो पड़े। बच्चों के चाचा विजय यादव ने उन्हें ढांढस बंधाया।
अजय ने पिस्टल से भाई को 6 और पिता को 3 गोली मारकर हत्या की थी। और तीसरे दिन खुद को एक गोली मारकर आत्महत्या की। उसके घर से पुलिस ने पिस्टल बरामद की है।