Chordoma: महिलाओं की तुलना में पुरुषों को अधिक होता है कॉर्डोमा का खतरा, जानिए क्या है मुख्य लक्षण
कॉर्डोमा एक प्रकार का कैंसर है जो रीढ़ की हड्डी और स्कल की हड्डी में विकसित होता है। यह दुर्लभ बीमारी बहुत कम लोगों को होती है लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकती है। यहां तक बच्चे भी इसके चपेट में आ सकते हैं। यह बीमारी महिलाओं की तुलना में पुरुषों को अधिक होती है। एनसीबीआई (Ref) के अनुसार यह पीठ, गले या रीढ़ कहीं भी हो सकता है लेकिन ज्यादातर यह रीढ़ या स्कल के निचले हिस्से में होता है। यहां से यह शरीर के अन्य हिस्सों जैसे फेफड़े, लिवर, स्किन आदि में भी पहुंच जाता है। यह बीमारी धीरे धीरे फैलती है।(सभी फोटो साभार: freepik) कॉर्डोमा के लक्षण
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कॉर्डोमा की समस्या में रीढ़ और ब्रेन की नसों पर दबाव पड़ता है। इससे दर्द, सुन्नता या कमजोरी जैसी समस्याएं हो सकती है। इसके लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि कैंसर किस जगह है और वह कितना बड़ा है।
डॉक्टर के अनुसार यह समस्या जीन में गड़बड़ी से जुड़ी होती है। कुछ परिवारों में टीवीएक्सटी जीन की अतिरिक्त कॉपी बनने लगती है जिसे डुप्लीकेट जीन कहा जाता है। इस परिवार के लोगों में कॉर्डोमा होने का खतरा अधिक होता है। इसके अलावा जिन परिवारों में इस बीमारी का इतिहास नहीं था उनमें भी टीवीएक्सटी जीन की क्रियाओं में वृद्धि पाई गई है। कॉर्डोमा के प्रकार
- असामान्य रूप से आंखों का हिलना
- आवाज या बोलने के तरीके में बदलाव
- देखने में समस्या
- सिर दर्द
- चेहरे के भाव दिखाने में असक्षम
- गर्दन में दर्द
- निगलने में कठिनाई
- आंतों का सही तरीके से काम न करना
- पीठ के निचले हिस्से में गांठ
- स्तब्ध हो जाना
- झुनझुनी
- हाथों और पैरों में कमजोरी
- पीठ के निचले हिस्से में दर्द
- मूत्राशय को कंट्रोल करने में समस्या
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कॉर्डोमा के तीन अलग-अलग प्रकार होते हैं क्लासिक कॉर्डोमा: यह सबसे आम प्रकार का कॉर्डोमा है। यह एक अनोखे प्रकार की कोशिका से बनता है जो बुलबुले जैसे दिखते हैं। डिफरेंशिएटेड कॉर्डोमा: यह कोडरमा एक दुर्लभ प्रकार का है जो असामान्य कोशिकाओं के मिश्रण के रूप में दिखाई देता है। यह अधिक आक्रामक और तेजी से बढ़ने वाला मेटास्टेसाइज होने की अधिक संभावना वाला होता है। खराब रूप से विभेदित कॉर्डोमा:
कॉर्डोमा का यह प्रकार बहुत ही दुर्लभ है यह सबसे ज्यादा बच्चों और युवा वयस्कों को प्रभावित करता है। कॉर्डोमा का निदान
इमेजिंग टेस्ट के जरिए डॉक्टर यह पता लगा सकते हैं कि कैंसर शरीर के किस हिस्से में है और कितना बड़ा है।
कॉर्डोमा का इलाज ट्यूमर की जगह और उसके आकार पर निर्भर करता है।
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- एक्स-रे
- सीटी स्कैन
- एमआरआई
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- सर्जरी
- रेडिएशन थेरेपी
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