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दिल के मरीज को क्यों ज्यादा पानी नहीं पीना चाहिए, सुनी-सुनाई बातों में न आएं, डॉक्टर्स से जानें सही सलाह

हमारे हृदय का मुख्य कार्य होता है शरीर में ब्लड को पंप करना। ब्लड पंप की वजह से हर अंग तक पोषक तत्व और ऑक्सीजन पहुंच पाता है। लेकिन जिन लोगों का दिल कमजोर होता है। उनका दिल यह काम सही से नहीं कर पता है और बॉडी फ्लूइड प्रभावी रूप से पंप ना होने के कारण यह कई अंगों में जमा होने लगता है। अगर शरीर में ज्यादा तरल पदार्थ है तो यह पेट फेफड़े और भी जगह पर इकट्ठा होने लगता है।

डा. एस.एस. सिबिया, cardiologists & director सिबिया मेडिकल सेंटर , लुधियाना के अनुसार दिल के मरीजों को एक निश्चित मात्रा में पानी पीना चाहिए। डेढ़ से 2 लीटर प्रतिदिन पानी पीना दिल के मरीज के लिए पर्याप्त है। सिर्फ पावी ही नहीं बल्कि और भी तरल पदार्थ जैसे दूध, सूप इत्यादि का सेवन भी कम मात्रा में ही करना चाहिए। डॉक्टर की सलाह के अनुसार दिल के मरीजों को अपने शरीर के हर अंग पर नजर रखनी चाहिए।

कभी-कभार घुटनों या हाथों में सूजन नजर आने लगते हैं। यह शरीर में पानी जमा होने का संकेत हो सकता है। हृदय विशेषज्ञ दिल के मरीजों को कम नमक का सेवन करने के लिए कहते हैं। नमक का सेवन सीमित करने की वजह से तरल पदार्थ के जमा होने की प्रक्रिया को कम किया जा सकता है। आईए जानते हैं ज्यादा पानी पीने से होने वाले खतरों के बारे में।
तरल पदार्थ का जमा होना

दिल के मरीजों में हार्ट के पंप करने की क्षमता कम हो जाती है। इस कारण अगर अधिक पानी या तरल पदार्थ का सेवन किया जाए तो शरीर से तरल पदार्थ पूरी तरीके से निष्कासित नहीं हो पाता और फ्लूइड ओवरलोड की समस्या उत्पन्न होती है। इस कारण शरीर में सूजन होने लगती है और भी कई अन्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं।


फेफड़ों में पानी का जमाव

बहुत ज्यादा पानी पीने से पानी फेफड़ों में जमा होने लगता है, जिससे सांस लेने में दिक्कत महसूस होती है। पानी अगर फेफड़े में जमा हो जाए तो ऑक्सीजन लेने की क्षमता पर भी बुरा असर पड़ता है, जिस वजह से खांसी, घबराहट और भी कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं ।


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हाई ब्लड प्रेशर

जब शरीर में पानी अधिक हो जाए और दिल के पंप करने की क्षमता कम हो तो उच्च रक्तचाप की समस्या पैदा हो सकती है। अगर ब्लड प्रेशर को अनियंत्रित हो जाए तो स्ट्रोक आने का भी खतरा बन सकता है।


असंतुलित इलेक्ट्रोलाइट्स

अधिक पानी पीने की वजह से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स असंतुलित हो जाते हैं क्योंकि सोडियम का स्तर कम होने लगता है। अगर शरीर में सोडियम का संतुलन ठीक ना हो तो नर्वस सिस्टम (Nervous System) यानी तंत्रिका तंत्र और मस्तिष्क की कारक क्षमता प्रभावित होती है, जिस वजह से कमजोरी और मानसिक भ्रम जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। कई बार हम चीजों रखकर या कोई भी बात बहुत आसानी से भूल जाते हैं। यह इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन के कारण ही होता है। इसलिए डॉक्टर दिल के मरीजों को बहुत ज्यादा पानी पीने से बचने की सलाह देते हैं।


दिल की स्थिति हो सकती है खराब ​

बहुत ज्यादा पानी पीने से शरीर में रक्त की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे पंप करने के लिए हमारे दिल को अधिक मेहनत करनी पड़ती है। हमारा दिल जितना ही ब्लड पंप करेगा। उतना ज्यादा उस पर जोर पड़ेगा। दिल के मरीजों में दिल की क्षमता वैसे भी कम होती है और फ्लूइड ओवरलोड के कारण दिल और भी कमजोर होने लगता है। अतिरिक्त दबाव के कारण इसकी पंपिंग क्षमता और भी खराब हो सकती है।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

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