क्या है नेशनल हेराल्ड केस, जिसमें ईडी ने राहुल-सोनिया गांधी के खिलाफ दाखिल की चार्जशीट
नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। ईडी ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी और ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है। इस मामले में 25 अप्रैल को सुनवाई होगी। जैसे ही ये मुद्दा सामने आया सियासी पारा चढ़ने लगा।
कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर बदले की भावना के तहत ऐसा करने का आरोप लगाया है। यही नहीं बुधवार को देशभर के ईडी दफ्तरों पर प्रदर्शन का भी ऐलान किया है। जिस तरह से पूरे मामले पर घमासान तेज हो रहा, हर किसी के मन में सवाल उठ रहा कि आखिर नेशनल हेराल्ड केस क्या है, जानिए पूरा मामला। नेशनल हेराल्ड केस क्या है?यह मामला नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़ा है। साल 1938 में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इसकी स्थापना की। अखबार का मालिकाना हक एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (AJL) के पास था जो दो और अखबार छापती थी।
ये अखबार थे हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज। 1956 में एजेएल को गैर व्यावसायिक कंपनी के तौर पर स्थापित किया गया और कंपनी एक्ट धारा 25 से कर मुक्त कर दिया गया। कंपनी धीरे-धीरे घाटे में चली गई। कंपनी पर 90 करोड़ का कर्ज भी चढ़ गया। इसी बीच साल 2008 में वित्तीय संकट के बाद इसे बंद करना पड़ा, जहां से इस विवाद की शुरुआत हुई। AJL के बाद बनाई गई नई कंपनीसाल 2010 में यंग इंडियन नाम से एक और कंपनी बनाई गई। जिसका 76 फीसदी शेयर सोनिया गांधी और राहुल गांधी (38-38 फीसदी) के पास और बाकी का शेयर मोतीलाल बोरा और आस्कर फर्नांडिस के पास था।
कांग्रेस पार्टी ने अपना 90 करोड़ का लोन नई कंपनी यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिया। लोन चुकाने में पूरी तरह असमर्थ द एसोसिएट जर्नल ने सारा शेयर यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिया। इसके बदले में यंग इंडियन ने महज 50 लाख रुपये द एसोसिएट जर्नल को दिए। इसी को लेकर बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने एक याचिका दायर कर आरोप लगाया कि यंग इंडियन प्राइवेट ने केवल 50 लाख रुपये में 90 करोड़ वसूलने का उपाय निकाला जो नियमों के खिलाफ है। कैसे शुरू हुआ पूरा मामलासाल 2012 नवंबर महीने में सुब्रमण्यम स्वामी ने केस दर्ज कराया।
बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी याचिका में कहा था कि 'यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड' ने सिर्फ 50 लाख रुपयों में 90 करोड़ रुपये वसूलने का उपाय निकाला जो 'नियमों के खिलाफ' है। केस दर्ज होने के दो साल बाद जून 2014 में अदालत ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ समन जारी किया गया। इसी साल अगस्त महीने में प्रवर्तन निदेशालय ईडी ने संज्ञान लिया और मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया। सुब्रमण्यम स्वामी ने उठाया मुद्दासुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर केस दर्ज होने के बाद अगले साल 19 दिसंबर 2015 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत अन्य आरोपियों को दिल्ली की पटियाला कोर्ट ने नियमित जमानत दी।
इसके अगले साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेताओं के खिलाफ कार्रवाई रद्द करने से इनकार कर दिया। राहत की बात यह रही कि कोर्ट ने सभी आरोपियों को व्यक्तिगत पेशी से छूट प्रदान कर दी। इस फैसले के दो साल बाद 2018 में दिल्ली हाई कोर्ट ने सोनिया और राहुल गांधी की आयकर विभाग के नोटिस के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी। अब ईडी ने दाखिल की चार्जशीटहाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ कांग्रेस की ओर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया। हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया और कहा कि आयकर की जांच चलती रहेगी।
अब इसी नेशनल हेराल्ड केस में गांधी परिवार की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दिया है। चार्जशीट में कांग्रेस के इन नेताओं के भी नामसूत्रों के मुताबिक, दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दायर ईडी के आरोपपत्र में कांग्रेस ओवरसीज चीफ सैम पित्रोदा के अलावा सुमन दुबे और अन्य नेताओं के नाम भी शामिल हैं। अदालत ने मामले में संज्ञान पर बहस के लिए 25 अप्रैल की तारीख तय की है।
इससे पहले ईडी ने इस मामले से जुड़ी संपत्तियों पर कब्जा करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी।
Next Story