Jharkhand: BJP के बागियों ने लिया नाम वापस, अचानक बदल गया जामताड़ा के नाला सीट का चुनावी समीकरण
जामताड़ा: विधानसभा चुनाव को लेकर प्रत्याशियों के नाम वापसी की तिथि समाप्त होने के बाद चुनाव चिन्ह आवंटित कर दिया गया है। इसके साथ ही अब प्रत्याशियों द्वारा प्रचार प्रसार भी प्रारंभ कर दिया गया है। जामताड़ा जिले के नाला विधानसभा क्षेत्र से तीन प्रत्याशियों ने अपने नाम वापस लिए जिसमें से दो भाजपा के बागी उम्मीदवार के नाम शामिल है।
जानकारी के अनुसार पूर्व कृषि मंत्री सत्यानंद झा तथा जामताड़ा नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष वीरेंद्र मंडल ने अपने नाम वापस ले लिए है। नाला विधानसभा क्षेत्र में अब कुल 17 प्रत्याशी चुनाव मैदान में रह गए हैं। बदला चुनावी समीकरणभाजपा के दो बागियों के नाम वापस लेने से नाला विधानसभा क्षेत्र का चुनावी समीकरण अचानक से बदल गया है। बदले समीकरण से यह तय हो गया है कि इस बार के चुनाव में एनडीए प्रत्याशी तथा यूपीए प्रत्याशी में सीधी टक्कर होगी। नाम वापसी से पूर्व यह माना जा रहा था कि जिस प्रकार से भाजपा के दो नेताओं द्वारा बागी बनाकर नामांकन कर दिया गया था, जिससे मुकाबला त्रिकोणीय तथा चतुर्थ कोणीय होगा।
साथ ही कहीं ना कहीं एनडीए गठबंधन को नुकसान तथा यूपीए गठबंधन को फायदा होने की बात कही जा रही थी। लेकिन अब ऐसी स्थिति नहीं दिख रही है। बिस्वा शर्मा पहुंचे जामताड़ाजामताड़ा के इतिहास में शायद यह पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री 24 घंटा के अंदर दो बार जामताड़ा पहुंचे हो। झारखंड बीजेपी के सह प्रभारी तथा असम के मुख्यमंत्री हिमांता बिस्वा शर्मा 24 घंटा के अंदर दो बार जामताड़ा पहुंचे। पहली बार वह रांची से सधेजा मतोड़ा के कुंडहित पहुंचे जहां उन्होंने बागी बनाकर नामांकन करने वाले पूर्व कृषि मंत्री तथा वरीय भाजपा नेता सत्यानंद झा से उनकी आवास पर लगभग डेढ़ घंटे मुलाकात की और उन्हें मनाने का प्रयास किया।
12 घंटे बाद फिर पहुंचे वही उसके 12 घंटे बाद ही वह हेलीकॉप्टर से रांची से जामताड़ा पहुंचे और भाजपा नेता वीरेंद्र मंडल की आवास पर लगभग 2 घंटे तक उनसे बात की और उन्हें मनाने का प्रयास किया। आखिरकार नाम वापसी के अंतिम समय में दोनों नेताओं ने अपना नाम वापस ले लिया और विधानसभा चुनाव से अपने आप को बाहर कर लिया। दो महतो के बीच सीधी टक्करजानकारी के अनुसार नाला विधानसभा क्षेत्र में लगभग 80000 यादव समुदाय का वोट है और यही कारण है कि सभी पार्टी की नजर इन वोटरो पर है। यही कारण है कि वर्तमान विधायक रवींद्रनाथ महतो जो यादव समुदाय से आते हैं उनके विरोध में भाजपा ने पहली बार माधव चंद्र महतो को मैदान में उतारा है।
जो भी यादव समुदाय से ही आतेहैं। इसलिए भी यह चुनाव काफी रोचक हो गया है। भाजपा को मिली थी बढ़तलोकसभा चुनाव में विधानसभा स्तर पर हुई वोटिंग की तुलना करें तो नाला विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को लगभग 28000 की बढ़त मिली थी। इसलिए भाजपा यह मान रही है कि विधानसभा चुनाव में भी उनको इसी तरह वोट मिलेंगे। हालांकि यूपीए प्रत्याशी और झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो हैट्रिक लगाने के लिए मैदान में उतरे हैं। और चुकी वह झामुमो से प्रत्याशी हैं, इसलिए आदिवासी, मुस्लिम तथा जाति वोट बैंक के भरोसे नैया पार करने का प्रयास कर रहे हैं।
बीजेपी की रणनीति उल्लेखनीय है कि पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सत्यानंद झा 3 हजार 500 वोट से हार गए थे। उस समय आजसू से माधव चंद्र महतो मैदान में उतर गए थे और उन्होंने भाजपा की लगभग 18 हजार वोट पर सेंघ लगा ली थी।अब देखने वाली बात होगी कि जिस माधव महतो के कारण भाजपा प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा था क्या वह इस बार भाजपा को विजय दिला सकेंगे।
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