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राजस्थान: शिक्षा मंत्री को बताया 'इतिहास का सबसे बड़ा पलटू राम', इन 7 फैसलों को लेकर घिरे दिलावर

जोधपुर: प्रदेश के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर अपने बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहते हैं। इन दिनों ने अकबर को आतंकी बताने वाले बयान को लेकर सुर्खियों में है। बुधवार को वे जोधपुर दौरे पर रहे। उनके जोधपुर दौरे के दौरान जोधपुर की सड़कों पर अनोखे पोस्टर और होर्डिंग नजर आए। ये पोस्टर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के विरोध में राजस्थान पंचायती राज एवं माध्यमिक शिक्षक संघ की ओर से लगाए गए थे। पोस्टर पर शिक्षक संघ के प्रदेश संयोजक शम्भू सिंह मेड़तिया का नाम और मोबाइल नंबर लिखे हुए हैं। इन होर्डिंग और पोस्टर में शिक्षा मंत्री को इतिहास का सबसे बड़ा पलटू राम बताया गया है। सम्मानित शिक्षकों की सूची में से काटा गया था शम्भू सिंह का नाम
पोस्टर लगाने वाले शिक्षक नेता शम्भू सिंह मेड़तिया का नाम पिछले दिनों सम्मानित होने वाले शिक्षकों में शामिल था लेकिन शिक्षक दिवस से ठीक एक दिन पहले मेड़तिया का नाम काट दिया गया था। राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह से नाम काटे जाने पर मेड़तिया और उनके समर्थकों ने शिक्षा मंत्री का भारी विरोध किया था। सम्मानित होने वाले शिक्षकों की सूची में नाम काटे जाने के बाद मेड़तिया को शिक्षा विभाग की ओर से नोटिस दिया गया। मेड़तिया का कहना है कि उनकी 28 साल की नौकरी में कभी उन्हें नोटिस नहीं मिला लेकिन पहली बार द्वेषता पूर्वक उनका नाम काट कर अपमानित किया गया। शिक्षा मंत्री का विरोध दिल्ली तक किए जाने की बात भी कही। इन 7 आदेशों का हवाला देकर बताया 'पलटू राम'
प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद शिक्षा विभाग की ओर से कई ऐसे फैसले लिए गए जिन्हें वापस लेना पड़ा। 7 ऐसे आदेश हैं जिन्हें शिक्षा विभाग को वापस लेने पड़े थे। उन सात आदेशों के कारण ही शिक्षक संघों की ओर से शिक्षा मंत्री को लगातार घेरा जा रहा है। आइये जानते हैं उन फैसलों के बारे में जिनकी वजह से शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग निशाने पर है। 1. प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद शिक्षकों की तबादला नीति को 100 दिन की कार्ययोजना में शामिल किया गया था लेकिन 100 दिन में कोई कार्ययोजना नहीं बनी। इस आदेश को विभाग की ओर से वापस लिया गया। 2.
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के बयान के बाद शिक्षा विभाग ने महात्मा गांधी स्कूलों को हिंदी माध्यम में बदलने के निर्देश जारी किए थे। स्कूलों के प्रिंसिपल की ओर से अंग्रेजी माध्यम को हिंदी माध्यम में बदलने को लेकर प्रस्ताव मांगे गए लेकिन बाद में यह आदेश वापस लेने पड़े। एक भी अंग्रेजी मीडियम स्कूल को हिंदी मीडियम में नहीं बदला गया। 3. शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के बयान देने के बाद शिक्षा विभाग ने 4 मई को सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के मोबाइल का उपयोग करने पर प्रतिबंध लगाया गया था। चूंकि कई आदेश वाट्सएप पर जारी होते हैं और डिजिटल माध्यम से कई कार्य होते हैं। ऐसे में शिक्षा विभाग को यह आदेश वापस लेना पड़ा। 4.
शिक्षा विभाग की ओर से 17 मई को पंचायती राज शिक्षकों के सेटअप परिवर्तन का कार्यक्रम तय किया गया था। इस फैसले को कुछ ही दिनों बाद वापस लेना पड़ा। 5. पहली कक्षा में प्रवेश के लिए छह साल की आयु पूरी होने के आदेश जारी किए गए थे। सरकारी स्कूलों में नामांकन ही नहीं हुए तो राज्य सरकार को आदेश वापस लेने पड़े। बाद में पांच साल के बच्चे को एडमिशन देने की अनुमति दी गई। 6. सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा से 8 वीं कक्षा तक के बच्चों को निशुल्क दूध वितरण के स्थान पर मोटा अनाज देने का फैसला लिया गया था। मोटे अनाज के फैसले को फिलहाल स्थगित कर दिया गया। हालांकि दूध वितरण फिलहाल नहीं हो रहा है लेकिन दूध के स्थान पर मोटा अनाज देने का फैसला लागू नहीं हो सका। 7.
सरकारी स्कूलों में 67 हजार शिक्षकों के समायोजन के लिए राज्य सरकार ने हाल में आदेश जारी कर प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश जारी किए थे। 18 सितंबर से प्रक्रिया शुरू होनी थी लेकिन इससे पहले ही इन आदेशों को वापस ले लिया गया।

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