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विरोध, विरोध, विरोध और समर्थन... मन बदला या मुद्दे के आधार पर 'एक देश, एक चुनाव' के साथ आए चिराग पासवान?

नई दिल्ली: खुद को 'पीएम मोदी का हनुमान' बताने वाले केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान फिर बदले-बदले दिख रहे। कुछ वक्त पहले तक अलग-अलग कई मुद्दों पर उनके स्टैंड को देखकर ऐसा लगा मानो वो मोदी सरकार की ही टेंशन बढ़ा रहे। एनडीए में रहने के बावजूद एलजेपी रामविलास प्रमुख ने जिस तरह से केंद्र सरकार के कई फैसलों पर असहमति जताई उसे लेकर सवाल उठने लगे। हालांकि, अब चिराग पासवान ने लंबे समय बाद मोदी सरकार के किसी फैसले का सपोर्ट किया। उन्होंने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' के समर्थन में आवाज बुलंद की। उन्होंने कहा कि 'एक राष्ट्र एक चुनाव' से न केवल हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया मजबूत होगी, बल्कि चुनाव संबंधी खर्च भी कम होंगे और विकास गतिविधियों में तेजी आएगी। आखिर चिराग के बदले मिजाज की वजह क्या है? चिराग के बदले स्टैंड से एनडीए को बड़ी राहतमोदी 3.0 सरकार में चिराग पासवान फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। हालांकि, सरकार बनने के बाद पहले उन्होंने जातीय जनगणना, फिर लेटरल एंट्री स्कीम पर सवाल उठाए। इसी के बाद चिराग पासवान ने वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर भी मोदी सरकार से उलट रुख अपनाया। उनके लगातार विरोध से चर्चा भी शुरू हो गई कि आखिर चिराग सरकार के साथ हैं या विपक्ष के? सियासी गलियारे में अभी ये मुद्दा चल ही रहा था इसी बीच चिराग पासवान का बदला अंदाज नजर आया। 'वन नेशन, वन इलेक्शन' का सपोर्ट करके उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि वो मोदी सरकार के साथ ही हैं।
'वन नेशन, वन इलेक्शन' के सपोर्ट में चिराग चिराग पासवान ने एक्स पर पोस्ट में लिखा, 'आज #OneNationOneElection प्रस्ताव को मंजूरी देकर, केंद्र सरकार ने राष्ट्रहित में एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। 'एक राष्ट्र एक चुनाव' से न केवल हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया मजबूत होगी, बल्कि चुनाव संबंधी खर्च भी कम होंगे और विकास गतिविधियों में तेजी आएगी। साथ ही, इससे चुनावों में पारदर्शिता बढ़ेगी और सरकार पर वित्तीय बोझ भी कम होगा। सुरक्षा के दृष्टिकोण से, यह चुनावों के दौरान अर्धसैनिक बलों, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका को आसान बनाएगा। मेरे नेता और पिता, आदरणीय रामविलास पासवान ने भी '𝐎𝐧𝐞 𝐍𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧, 𝐎𝐧𝐞 𝐄𝐥𝐞𝐜𝐭𝐢𝐨𝐧' प्रस्ताव का समर्थन किया, और मेरी पार्टी, 𝗟𝗼𝗸 𝗝𝗮𝗻𝘀𝗵𝗮𝗸𝘁𝗶 𝗣𝗮𝗿𝘁𝘆 (𝗥𝗮𝗺 𝗩𝗶𝗹𝗮𝘀) इस पहल का पूर्ण समर्थन करती है।' लंबे समय तक चुप्पी, अब चिराग का नरम रुखचिराग पासवान के बदले अंदाज की कई वजह मानी जा रही। उन्होंने मोदी सरकार के स्टैंड के खिलाफ जातीय जनगणना की मांग की, अब आरएसएस और मोदी सरकार भी इसके लिए तैयार होती दिख रही है। ऐसे में माना जा रहा कि चिराग का रुख भी कुछ नरम पड़ा है। एक मुद्दा ये भी है कि चिराग लंबे समये से चुप रहे, हालांकि उस वक्त संसद सत्र के कारण मीडिया की आसान पहुंच थी तो उनसे बार-बार टिप्पणी मांग ली जाती थी। क्या मंशा पर सवाल उठने के दबाव में तो नहीं आ गए चिराग?अब चिराग पासवान ने लंबे समय बाद किसी केंद्रीय मुद्दे पर कुछ बोला है। यही नहीं इसमें उन्होंने मोदी सरकार का पूरा साथ दिया है। उनके इस अंदाज से बीजेपी और एनडीए सरकार को बड़ी राहत मिली होगी। हालांकि, सियासी गलियारे में चिराग के बदले मिजाज को लेकर भी चर्चा का दौर शुरू हो गया। क्या उनकी मंशा पर सवाल उठने के दबाव में तो नहीं आ गए चिराग?चर्चा ये भी है कि बीजेपी ने चिराग को कंट्रोल में रखने के लिए कवायद शुरू की थी। इसी के मद्देनजर चिराग के चाचा पशुपति पारस ने 26 अगस्त को अमित शाह से मुलाकात की थी। इससे पहले बिहार बीजेपी अध्यक्ष पशुपति पारस की मुलाकात हुई थी। चाचा पारस, चिराग के धुर विरोधी माने जाते हैं। भले बीजेपी खुलकर न बोले, लेकिन चिराग को सीधा संदेश देने की कोशिश की गई। इन सियासी घटनाक्रम को भी चिराग के बदले अंदाज से जोड़कर देखा जा रहा। मांझी हर मुद्दे पर खुलकर सामने आ रहे, तो बढ़ा दबावचिराग के बदले तेवर एक और वजह जीतन राम मांझी भी माने जा रहे। एनडीए में अहम सहयोगी HAM पार्टी के संस्थापक जीतन राम मांझी हर मुद्दे पर केंद्र का खुलकर सपोर्ट कर रहे। इसका भी दबाव हो सकता है। मांझी ने एक दिन पहले कहा था- दिल्ली को 'राबड़ी देवी' मुबारक हो। केजरीवाल के सीएम पद से इस्तीफे के बाद आतिशी को दिल्ली का नया मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया गया है। इसी पर मांझी ने रिएक्ट किया। आज भी मांझी ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर तुरंत ट्वीट करके सरकार के समर्थन में तगड़ा तर्क दिया। सियासी जानकारों के मुताबिक, मांझी के इस अंदाज से भी चिराग पर दबाव बढ़ा। फिलहाल एलजेपी रामविलास के मुखिया का बदला मिजाज केंद्र के लिए राहतभरी खबर जरूर है।

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