What is Project Shaurya Gatha: क्या है 'प्रोजेक्ट शौर्य गाथा', जिसे CDS जनरल अनिल चौहान ने किया लॉन्च, जानिए इसका मकसद
नई दिल्ली: सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने इंडियन मिलिट्री हेरिटेज फेस्टिवल में शौर्य गाथा प्रोजेक्ट लॉन्च किया। इस प्रोजेक्ट के जरिए बेटलफील्ड टूरिजम बढ़ाने पर तो फोकस रहेगा ही साथ ही फ्यूचर जनरेशन में नेशनल प्राइड यानी राष्ट्रीय गर्व की भावना बढ़ाना भी मकसद है।'प्रोजेक्ट शौर्य गाथा' डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स (DMA) की पहल है।
इसे संयुक्त सेवा संस्थान (USI) के अंतर्गत सेंटर फॉर मिलिट्री हिस्ट्री एंड कॉन्फ्लिक्ट स्टडीज के सहयोग से शुरू किया गया है। एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक इस प्रोजेक्ट का मकसद विरासत को संरक्षित करना और अतीत का सम्मान करने के साथ ही नेशनल प्राइड को बढ़ाना है और फ्यूचर जनरेशन को शिक्षित करना है। बेहद खास है ये प्रोजेक्टइस प्रोजेक्ट के तहत अहम मिलिट्री लैंडमार्क की पहचान की जाएगी, उन्हें रीस्टोर किया जाएगा और फिर प्रमोट किया जाएगा। जिनमें किले, बैटलफील्ड, स्मारक और म्यूजियम शामिल हैं।
इससे नैशनल प्राइड बढ़ेगा साथ ही बॉर्डर एरिया में टूरिजम, खासकर मिलिट्री टूरिज्म बढ़ेगा। यह पहल इतिहास को संरक्षित करेगी साथ ही मिलिट्री हिस्ट्री लोगों के लिए आसानी से उपलब्ध होगी। डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स के साथ ही यूएसआई, पर्यटन, संस्कृति, शिक्षा, गृह, और विदेश मंत्रालय भी इस प्रोजेक्ट में शामिल है। इस प्रोजेक्ट के जरिए ऐतिहासिक स्थलों का एक सशक्त नेटवर्क तैयार किया जाएगा है और बैटलफील्ड टूरिज्म को प्रमोट किया जाएगा। क्या है इस प्रोजेक्ट का मकसदइस प्रोजेक्ट का मकसद एक व्यापक राष्ट्रीय सैन्य विरासत संरक्षण नीति (नेशनल मिलिट्री हेरिटेज कंजर्वेशन पॉलिसी) डिवेलप करना भी है।
इससे ऐतिहासिक धरोहरों, जैसे प्राचीन युद्ध भूमि, युद्ध स्मारक और संग्रहालय, को आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जा सकेगा। यह मौखिक इतिहास और कलाकृतियों को भी सहेजेगा। जिससे सशस्त्र बलों के बलिदानों और उपलब्धियों की कहानियों को संरक्षित किया जा सकेगा। इस प्रोजेक्ट के तहत कई रिसोर्स को पब्लिश किया जाएगा, जिसमें मुख्य युद्धक्षेत्रों, सैन्य संग्रहालयों, स्मारकों और भारत के प्राचीन सैन्य इतिहास के बारे में जानकारी मिलेगी। एक वेबसाइट और ऐप भी बनाई जाएगी और इसके जरिए मिलिट्री हिस्ट्री को इंटरनेशनल ऑडियंस तक भी पहुंचाया जाएगा।
इस प्रोजेक्ट का एक मुख्य मकसद बॉर्डर एरिया का डेवलपमेंट भी है। मिलिट्री टूरिज्म के जरिए इन क्षेत्रों में आर्थिक विकास होगा, जिससे नए रोजगार पैदा होंगे, बुनियादी ढांचे में सुधार होगा। दो महीने पहले एक कार्यक्रम में इंडियन आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा था कि धीरे धीरे बॉर्डर एरिया के फॉरवर्ड इलाके भी टूरिस्ट के लिए खोले जा रहे हैं और बेटल फील्ड (लड़ाई के मैदान) की गाथा दुनिया को सुनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा था कि करगिल से लेकर गलवान और डोकलाम तक धीरे धीरे सभी इलाके पर्यटकों के लिए खोले जा रहे हैं।
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