BJP विरोधी वोट बंटेंगे?
हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए विपक्षी I.N.D.I.A. ब्लॉक में शामिल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच गठबंधन की बातचीत टूटने के बाद AAP ने प्रत्याशियों की दो-दो सूची जारी कर दी है, सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान भी कर दिया है। फिर भी दोनों दलों में कुछ लोग हैं, जो अभी गठबंधन की उम्मीद छोड़ने को तैयार नहीं हैं। प्रदेश कांग्रेस का मूड: हालांकि यह बात पहले दिन से साफ है कि हरियाणा कांग्रेस इस बार किसी से भी गठबंधन करने के पक्ष में नहीं है। प्रदेश कांग्रेस नेताओं के मुताबिक, दस वर्षों की एंटी इनकंबेंसी के मद्देनजर BJP 2019 से कमजोर स्थिति में है, जब उसे 90 सीटों की विधानसभा में 40 सीटें मिली थीं। हालिया लोकसभा चुनावों के नतीजे भी संकेत दे रहे हैं जहां पिछली बार की दसों सीटों की जगह उसे सिर्फ 5 सीटें मिलीं। AAP को कांग्रेस के साथ गठबंधन में यहां एक लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने का मौका मिला था, लेकिन वह हार गई थी। ऐसे में प्रदेश कांग्रेस गठबंधन को पूरी तरह गैर जरूरी मान रहा है। राष्ट्रीय नेतृत्व का आग्रह :
इसके बावजूद अगर दोनों पक्ष गठबंधन के लिए बातचीत की मेज पर बैठे तो उसके पीछे कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व का आग्रह था। राहुल गांधी अब लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं और उनकी प्राथमिकता यह है कि राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष के I.N.D.I.A. ब्लॉक की एकजुटता और उसकी मजबूती में किसी तरह की कमी न दिखे ताकि केंद्र सरकार और BJP पर उसका दबाव बना रहे। चुनाव की अहमियत : हालिया लोकसभा चुनाव में BJP की सीटों में आई कमी के बाद विपक्ष को जो थोड़ी धार मिली है, उसके मद्देनजर ये चुनाव अहम माने जा रहे हैं। हरियाणा के बाद महाराष्ट्र और झारखंड में भी चुनाव होने हैं। दिल्ली विधानसभा के चुनाव भी ज्यादा दूर नहीं हैं। ऐसे में हरियाणा विधानसभा चुनाव में अगर I.N.D.I.A. ब्लॉक साथ मिलकर मजबूती से लड़ता दिखा और अच्छी जीत दर्ज करा पाया तो उसका असर न केवल आने वाले विधानसभा चुनावों पर बल्कि पूरे विपक्ष के मनोबल पर पड़ेगा। वोट बंटने के नुकसान:
अगर मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों को याद करें तो इस पर लगभग आम राय है कि वहां कांग्रेस को प्रदेश नेतृत्व के अति आत्मविश्वास का नुकसान हुआ। जाहिर है, कांग्रेस इस बार ऐसा कोई रिस्क नहीं लेना चाहेगी। असल सवाल विपक्षी वोटों के बंटवारे का है। जिस तरह से AAP प्रत्याशियों की सूची जारी कर रही है, उससे साफ है कि वह इसी पहलू की ओर इशारा कर रही है कि उसे सीटें भले न आएं, कांग्रेस को कई सीटों का नुकसान तो हो ही सकता है।
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