संपादकीय: रिश्तों पर आशा, भारत के प्रति ट्रंप का रुख
भारत और अमेरिका के आपसी रिश्ते अब उस अवस्था में नहीं रह गए हैं कि उन्हें किसी खास पार्टी या नेता की अगुआई वाली सरकार की दरकार हो। लेकिन इसके बावजूद अगर अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप का फिर से राष्ट्रपति चुना जाना द्विपक्षीय रिश्तों के लिहाज से एक उत्साहपूर्ण घटना मानी जा रही है, तो यह बेवजह नहीं है। दोनों देशों के रिश्तों के कई ऐसे पहलू हैं जहां वाइट हाउस में ट्रंप की मौजूदगी का प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ने की उम्मीद की जा रही है। संतुलन के लिए स्पेस
जब से यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ है, भारत ने यह स्पष्ट नीति रखी है कि वह युद्ध के खिलाफ है, लेकिन रूस से अपनी पुरानी मित्रता पर कोई समझौता नहीं करने वाला। मोटे तौर पर सभी पक्षों ने भारत के इस रुख को स्वीकार भी किया है, लेकिन फिर भी बाइडन सरकार ने इस पर अपनी नाखुशी जताने का कोई मौका हाथ से जाने नहीं दिया। अब ट्रंप के आने के बाद इस मोर्चे पर राहत की उम्मीद कई वजहों से है। अव्वल तो खुद ट्रंप कह चुके हैं कि वह रूसी राष्ट्रपति पूतिन को पसंद करते हैं। दूसरी बात यूक्रेन युद्ध पर उनका घोषित रुख भी बाइडन से अलग रहा है। भारत की अहमियत
ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान चीन के साथ ट्रेड वॉर की पृष्ठभूमि में देखें तो यह संभावना निराधार नहीं है कि हिंद-प्रशांत में चीन की बढ़ी हुई आक्रामकता पर उनका रुख बाइडन सरकार के मुकाबले और कड़ा हो सकता है। दूसरे शब्दों में, उनकी नजर में भारत की अहमियत और ज्यादा होगी। हालांकि इसका नतीजा क्वॉड जैसे मंचों को सामरिक रूप देने पर जोर के रूप में भी आ सकता है, जिससे भारत इनकार करता रहा है। बेहतर मौके
चीन के प्रति ट्रंप के संभावित कड़े रुख के साइड इफेक्ट के रूप में भारत को बेहतर मौके मिलें तो यह कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। चीन से मुंह मोड़ने वाली कई कंपनियां भारत को विकल्प के रूप देख सकती हैं। वैसे भी ट्रंप के अगले कार्यकाल में अमेरिका और भारत के बीच रक्षा सहयोग बढ़ने की उम्मीद की जा रही है। क्या हैं आशंकाएंतमाम उम्मीदों के बीच ट्रंप के इस कार्यकाल को लेकर कुछ ठोस आशंकाएं भी हैं। सबसे बड़ा सवाल प्रवासियों पर उनके रुख को लेकर है। देखने वाली बात यह होगी कि उनकी सरकार अवैध प्रवासियों को ही निशाना बनाती है या वैध तौर पर आने वाले हाई स्किल्ड प्रफेशनल्स की राह को भी मुश्किल बनाती है। नजरिया पॉजिटिव
बहरहाल, सबसे बड़ी बात यह है कि डॉनल्ड ट्रंप, पीएम मोदी और भारत को लेकर दोस्ती का भाव रखते हैं और नजरिया पॉजिटिव हो तो रिश्तों के दरम्यान आने वाले छोटी-मोटी बाधाएं यूं ही दूर होती रहती हैं।
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