China Crisis: 30 साल में पहली बार चीन से भाग रहे इन्वेस्टर्स, आखिर क्यों मचा है इतना हड़कंप?

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नई दिल्ली: चीन ने अपनी अपनी इकॉनमी में जान फूंकने के लिए अरबों डॉलर के पैकेज की घोषणा की है। लेकिन इसका कोई खास असर होता नहीं दिख रहा है। 30 साल से भी अधिक समय में यह पहला मौका है जब विदेशी निवेशक चीन से अपना पैसा निकाल रहे हैं। इस फाइनेंशियल ईयर की तीसरी तिमाही में विदेशी निवेशकों ने चीन से 8.1 अरब डॉलर निकाले। इस साल विदेशी निवेशक चीन से 12.8 अरब डॉलर निकाल चुके हैं जो 1998 के बाद सबसे ज्यादा रकम है।
यही हाल रहा तो चीन में 1990 के बाद पहली बार एफडीआई का सालाना नेट आउटफ्लो देखने को मिल सकता है।चीन की इकॉनमी 2008 के फाइनेंशियल क्राइसिस के बाद सबसे बड़ी मंदी का सामना कर रही है। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की राष्ट्रपति के रूप में वापसी चीन को बहुत भारी पड़ सकती है। अपने चुनावी भाषणों में ट्रंप ने चीनी माल पर 60 फीसदी तक आयात शुल्क लगाने का वादा किया था। अगर ऐसा होता है तो चीन की हालत और खराब हो सकती है। देश का डेट-टु-जीडीपी रेश्यो पहली तिमाही में 366 फीसदी पहुंच चुका था। यानी देश की जीडीपी की एक यूनिट पर 3.66 यूनिट कर्ज का बोझ है।
जापान जैसा हालट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में चीनी सामान पर 25% तक इम्पोर्ट ड्यूटी लगाई थी। जानकारों का कहना है कि उनके दूसरे कार्यकाल में चीन के लिए परेशानी बढ़ सकती है। आईएमएफ ने पहले ही चीन की इकॉनमी के लिए अपने अनुमान को कम कर दिया है। इस साल देश की इकॉनमी के 4.8% की रफ्तार से बढ़ने का अनुमान है जबकि सरकार ने 5% का लक्ष्य तय कर रखा है। अगले साल इसके 4.5% रहने का अनुमान है। जानकारों का कहना है कि चीन में भी उसी तरह का ठहराव आ सकता है जिसमें जापान कई दशक से फंसा था। जापान में 1990 के दशक में स्टॉक और प्रॉपर्टी का बुलबुला फूटने के ठहराव आ गया था और वह अब तक इससे उबर नहीं पाया है।करीब तीन दशक से दुनिया की फैक्ट्री बना चीन इस कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रहा है।
दुनिया की दूसरी बड़ी इकॉनमी वाले देश चीन में कई साल से रियल एस्टेट संकट चल रहा है। देश की इकॉनमी में इस सेक्टर की करीब एक तिहाई हिस्सेदारी है। इस संकट के कारण बैंकिंग सेक्टर भी संघर्ष कर रहा है जिससे पूरी इकॉनमी के डूबने का खतरा बना हुआ है। देश में बेरोजगारी चरम पर है और मंदी की आशंका से लोग पैसा खर्च करने से डर रहे हैं। माना जा रहा है कि जापान की तरह चीन की इकॉनमी भी सुस्ती में फंस सकती है। इस स्थिति से बचने के लिए चीन को कंज्यूमर डिमांड बढ़ाने पर काम करना चाहिए और एक्सपोर्ट और निवेश आधारित ग्रोथ से हटना चाहिए।
इससे चीन में सतत विकास को बढ़ावा मिलेगा और देश बाहरी झटकों से बचने से बच सकेगा।