Scam Alert! ईमेल, नकली इनवॉइस और फर्जी वेंडर बनकर ठग रहे हैं स्टार्टअप्स को, जानिए कैसे बचें इस साइबर जाल से

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डिजिटल बिजनेस का दौर जितनी तेजी से बढ़ रहा है, उतनी ही तेजी से साइबर ठगी के नए तरीके सामने आ रहे हैं। पहले यह ठगी आम यूजर्स तक सीमित थी, लेकिन अब स्टार्टअप और छोटे व्यवसाय भी साइबर अपराधियों के निशाने पर हैं।

कुछ ही मिनटों में एक फर्जी ईमेल या नकली इनवॉइस के जरिए कंपनियों से करोड़ों रुपये उड़ाए जा रहे हैं। ऐसे फ्रॉड से बचने के लिए आपको जानना जरूरी है कि ये किस तरह से काम करते हैं और आप खुद को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं।

🕵️♂️ कैसे करते हैं साइबर ठग कंपनियों को निशाना?

अब ठग खुद को कंपनी का कर्मचारी, पार्टनर या वेंडर बताकर, नकली ईमेल भेजते हैं, जिससे भुगतान सीधे उनके फर्जी अकाउंट में चला जाए।

हाल ही में अमेरिका की एक कंपनी को एक फर्जी ईमेल की वजह से ₹66 करोड़ (8 मिलियन डॉलर) का नुकसान हो गया। भारत में भी इसी तरह के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

📉 भारत में दिख रहे AP फ्रॉड के बड़े रूप फ्रॉड का नाम
कैसे होता है
बिलिंग स्कीम नकली इनवॉइस बनाकर पैसा मंगाना, जबकि प्रोडक्ट डिलीवर नहीं हुआ।
चेक फ्रॉड चेक की राशि या प्राप्तकर्ता बदल देना।
ACH फ्रॉड बैंक डिटेल्स हैक कर उन्हें बदल देना।
वेंडर इम्पर्सोनेशन फर्जी वेंडर बनकर असली कंपनी से पेमेंट ले लेना।
किकबैक स्कीम कंपनी के कर्मचारियों को रिश्वत देकर गलत वेंडर चुनवाना।
भारतीय स्टार्टअप ज्यादा असुरक्षित क्यों हैं?
  • साइबर सुरक्षा की कमी
  • पेमेंट और अकाउंटिंग में मैनुअल प्रोसेस
  • बिना सत्यापन के भुगतान
  • अनट्रेंड स्टाफ

इन खामियों का फायदा उठाकर ठग कंपनियों को आर्थिक रूप से पंगु बना रहे हैं

🔐 कैसे करें ऐसे फ्रॉड से बचाव?
  • वेंडर वेरिफिकेशन करें
    • बैंक डिटेल्स बदलने के अनुरोध पर, वेंडर से फोन या वीडियो कॉल पर पुष्टि करें।
  • डुअल अप्रूवल सिस्टम लागू करें
    • हर बड़े भुगतान को दो अधिकारियों की मंजूरी से पास करें।
  • ऑटोमेटेड अकाउंट्स सॉफ्टवेयर अपनाएं
    • बिलिंग और भुगतान को ट्रैक करने के लिए डिजिटल टूल्स का उपयोग करें।
  • साइबर सिक्योरिटी ट्रेनिंग दें
    • फाइनेंस और अकाउंटिंग टीम को फिशिंग और फ्रॉड ईमेल पहचानने की ट्रेनिंग दें।
  • ईमेल डोमेन वेरिफिकेशन करें
    • अपने मेल सिस्टम में SPF, DKIM और DMARC सेट करें ताकि कोई आपके डोमेन की नकल न कर सके।
  • 📌 निष्कर्ष

    फर्जी ईमेल, नकली इनवॉइस और इम्पर्सोनेशन अब सिर्फ आईटी कंपनियों की परेशानी नहीं है। हर बिजनेस—चाहे छोटा हो या बड़ा—को अब सावधान रहने की जरूरत है।

    सतर्कता, वेरिफिकेशन और डिजिटल सुरक्षा ही बचाव का रास्ता है। आज एक छोटा कदम—जैसे फोन पर कन्फर्म करना या डुअल अप्रूवल लागू करना—आपको भविष्य की बड़ी ठगी से बचा सकता है।