शिमला समझौता: भारत-पाक रिश्तों की बुनियाद, जिसे रद्द करने की धमकी दे रहा पाकिस्तान

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24 अप्रैल 2025, नई दिल्ली — पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा पाकिस्तान पर की गई सख्त कार्रवाइयों से घबराकर इस्लामाबाद ने एक बार फिर पुराने समझौतों को हथियार बनाना शुरू कर दिया है। पाकिस्तान की नेशनल सिक्योरिटी कमेटी की बैठक में यह धमकी दी गई कि वह भारत से हुए ऐतिहासिक शिमला समझौते को रद्द कर सकता है। लेकिन सवाल ये है कि आखिर यह समझौता है क्या और पाकिस्तान क्यों इसे लेकर गीदड़ भभकी दे रहा है?

🕰️ शुरुआत कहां से हुई?

शिमला समझौता 2 जुलाई 1972 को हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में हुआ था। यह समझौता भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच हुआ था। पृष्ठभूमि थी 1971 का युद्ध, जिसमें भारत ने पाकिस्तान के पूर्वी भाग (अब बांग्लादेश) को स्वतंत्र कराया और 90,000 पाकिस्तानी सैनिकों को बंदी बनाया।

🤝 क्या है शिमला समझौते की शर्तें?

शिमला समझौते के तीन मुख्य स्तंभ हैं:

  • आपसी विवादों का शांतिपूर्ण हल – भारत और पाकिस्तान सभी विवादों को केवल आपसी बातचीत से सुलझाएंगे।
  • तीसरे पक्ष का कोई दखल नहीं – किसी भी अन्य देश या संगठन को इन मुद्दों में हस्तक्षेप की अनुमति नहीं होगी।
  • LOC का सम्मान – दोनों देश नियंत्रण रेखा (LoC) को मान्यता देंगे और उसे एकतरफा नहीं बदलेंगे।
  • इस समझौते के तहत भारत ने बिना किसी शर्त के पाकिस्तान के कब्जे में आए 90,000 सैनिकों को रिहा कर दिया था और युद्ध में कब्जा किए गए क्षेत्रों को भी लौटा दिया था।

    ⚠️ अब क्यों उठा रहा है पाकिस्तान यह मुद्दा?

    हाल ही में भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित किया, पाकिस्तानी नागरिकों के वीज़ा पर रोक लगाई और पाक उच्चायोग के स्टाफ में कटौती की। ये सभी कदम भारत की आतंकवाद के खिलाफ सख्त नीति का हिस्सा हैं। जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान शिमला समझौते को रद्द करने की धमकी दे रहा है, जो विशेषज्ञों के मुताबिक एक “राजनीतिक ड्रामा” है।

    🧠 क्या होगा अगर पाकिस्तान समझौता तोड़े?

    शिमला समझौता भारत-पाक के बीच द्विपक्षीय संबंधों की नींव है। इसे तोड़ने का मतलब होगा कि पाकिस्तान खुद ही बातचीत के रास्ते को बंद कर रहा है। इससे उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान होगा और यह भी साफ हो जाएगा कि पाकिस्तान शांति की बजाय टकराव का रास्ता चुन रहा है।

    📌 निष्कर्ष

    शिमला समझौता सिर्फ एक कागजी दस्तावेज़ नहीं, बल्कि भारत-पाक संबंधों की आधारशिला है। पाकिस्तान की इसे रद्द करने की धमकी एक डर की अभिव्यक्ति है, जो भारत की सख्त विदेश नीति से उपजी है। भारत पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि कश्मीर और अन्य विवाद पूरी तरह द्विपक्षीय हैं और किसी तीसरे पक्ष की इसमें कोई भूमिका नहीं।