लो जी खत्म हुआ FASTag और Toll Tax का किस्सा! नहीं समझा नया नियम तो पड़ेंगे लेने के देने
भारत में टोल वसूली को आधुनिक बनाने के लिए अब FASTag के स्थान पर ग्लोबल नेविगेशन सेटेलाइट सिस्टम (GNSS) लागू किया जा रहा है। इस नई GPS आधारित तकनीक का उद्देश्य टोल फीस को अधिक सटीकता और तेज़ी से वसूलना है, जिससे वाहन चालकों का समय और ईंधन दोनों की बचत होगी। इस सिस्टम के कुछ हिस्से को कुछ टोल नाकों पर टेस्ट किया जा चुका है, और अब इसे पूरे देश में चरणबद्ध तरीके से लागू करने की योजना है।
GNSS तकनीक में आपकी गाड़ी में लगे GPS ट्रैकर के माध्यम से आपकी यात्रा का हिसाब रखा जाएगा। इस सिस्टम के जरिए जब भी आप नेशनल हाइवे या एक्सप्रेसवे पर सफर करेंगे, तो आपके द्वारा तय की गई दूरी के हिसाब से टोल की कटौती आपके अकाउंट से स्वचालित रूप से की जाएगी। इस तरह की सिस्टम में वाहन को रोकने की ज़रूरत नहीं होगी और बिना किसी गेट के टोल शुल्क कट जाएगा।
फास्टैग की जगह GNSS लेन
GNSS सिस्टम के तहत, FASTag की जगह अब GNSS लेन बनाई जाएंगी, जिनमें कोई गेट नहीं होगा। यह सिस्टम माइक्रोसेकंड्स में टोल फीस काट देगी, जिससे वाहनों को किसी तरह का रुकावट नहीं झेलना पड़ेगा। इससे न केवल यात्रा समय कम होगा बल्कि गाड़ियों के लिए पेट्रोल, डीजल, और सीएनजी की खपत में भी कमी आएगी।
लागू करने की समयसीमाNHAI ने इस नई सिस्टम को 2025 तक 2 हजार किलोमीटर और आगामी दो वर्षों में 50 हजार किलोमीटर के हाईवे पर लागू करने का लक्ष्य रखा है। वर्तमान में भारत में 1.5 लाख किलोमीटर का राष्ट्रीय राजमार्ग है, जिसमें से लगभग 50 हजार किलोमीटर पर टोल वसूला जाता है। GNSS सिस्टम से टोल वसूली की प्रक्रिया में एक नई क्रांति आने की संभावना है, जिससे यात्रियों का समय और ईंधन दोनों की बचत होगी।