पहलगाम हमला: कश्मीर घाटी छोड़ते पर्यटक और बेहाल व्यापारी

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Getty Images श्रीनगर हवाई अड्डे जाने के लिए तैयार पर्यटक

जम्मू-कश्मीर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पहलगाम में मंगलवार को चरमपंथी हमले में 26 लोगों के मारे जाने के बाद पूरे इलाके में दहशत फैल गई है.

कश्मीर घाटी से पर्यटकों को बाहर ले जाने के लिए टैक्सियां श्रीनगर हवाई अड्डे और राजमार्गों पर लगातार फेरे लगा रही हैं.

एक पर्यटक गौतम ने बीबीसी को बताया, "हम बहुत डरे हुए हैं क्योंकि हम नहीं जानते हैं कि आतंकी कहां हैं और आगे क्या हो सकता है?"

वह पूरी तैयारी के साथ कश्मीर घूमने आए थे, लेकिन अब अपने घर वापस जा रहे हैं.

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BBC होटलों की बुकिंग रद्द

राज्य की कश्मीर घाटी दशकों से हिंसा से जूझ रही है, लेकिन पर्यटकों को निशाना बनाकर किए हमले पहले नहीं देखे गए हैं. मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने इसे "हाल के वर्षों में आम नागरिकों को निशाना बनाते हुए किया गया बड़ा हमला बताया है."

हमले का दूरगामी असर होने की आशंका है. घाटी से तुरंत लौटते लोगों के अलावा कश्मीर घूमने के लिए जानेवालों का अपनी टिकटें रद्द करने का सिलसिला शुरू हो गया है.

मुंबई में पर्यटन एजेंसी चलाने वाले अभिषेक हॉलिडेज के अभिषेक संसारे ने बीबीसी को बताया कि श्रीनगर में मौजूद पर्यटकों में 'घबराहट' तो है ही, जो लोग वहां जाने वाले थे उनके अंदर "डर और गुस्सा" भी है.

उन्होंने कहा, "कई लोग यात्रा रद्द करने का अनुरोध कर चुके हैं."

पहलगाम फ़िल्मों की शूटिंग के लिए भी पसंदीदा जगह रही है. इस पर भी असर पड़ने की आशंका है.

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BBC Getty Images हमले के बाद जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है

1947 में ब्रिटेन से स्वतंत्र होने के बाद भारत और पाकिस्तान कश्मीर को लेकर दो युद्ध लड़ चुके हैं.

1980 और 1990 के दशक में कश्मीर में चरमपंथी गतिविधियां फैलीं.

भारत ने पाकिस्तान पर इन चरमपंथी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय मदद करने का आरोप लगाया. इस दौरान अशांति में हज़ारों लोग मारे गए. हालांकि भारत सरकार ने दावा किया है कि हाल के वर्षों में हिंसा में कमी आई है.

मार्च 2025 में गृह मंत्री अमित शाह ने संसद को बताया था कि "2004 से 2014 के बीच 7,217 आतंकवादी घटनाएं हुईं, लेकिन 2014 से 2024 तक यह संख्या घटकर 2,242 रह गई."

कश्मीर में पर्यटन में उछाल BBC पहलगाम हमले के बाद जावेद अहमद को डर है कि पर्यटकों की संख्या बहुत कम हो जाएगी

जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का पारंपरिक रूप से योगदान रहा है. इसमें पिछले दिनों ज़बरदस्त उछाल देखा गया.

पर्यटन मंत्रालय ने बताया कि 2023 में दो करोड़ लोग जम्मू-कश्मीर घूमने के लिए आए. कोविड से पहले आने वाले पर्यटकों की संख्या से यह आंकड़ा 20 फ़ीसदी ज़्यादा है.

गर्मी के मौसम में जम्मू-कश्मीर को स्वर्ग माना जाता है. पर्यटन सीजन शुरू हो चुका है. स्कूल की छुट्टियों के दौरान परिवार यहां घूमने आते हैं.

पहलगाम हमले के बाद अब पर्यटकों की संख्या में कमी आने का ख़तरा मंडरा रहा है.

पहलगाम में शॉल व्यापारी शकील अहमद ने बीबीसी से कहा, "सब कुछ खत्म हो गया है, मैं रो रहा हूं. हमारा जीवन पर्यटकों पर निर्भर है. मैंने बैंक से लोन लिया था लेकिन अब मेरा सामान खरीदने वाला कोई नहीं है."

होटल व्यवसायी जावेद अहमद कहते हैं इस "भयानक, अमानवीय" हमले से हम स्तब्ध हैं. यह कश्मीरियों और पर्यटन उद्योग के लिए बुरी खबर है.

वह बताते हैं कि जून तक के सभी कमरे बुक किए जा चुके थे, लेकिन अब पर्यटक अपनी बुकिंग रद्द करा देंगे और इससे उनका कारोबार बुरी तरह से प्रभावित होगा.

अनुच्छेद 370 हटाने के बाद का कश्मीर

साल 2019 में भारत सरकार ने संवैधानिक रूप से जम्मू-कश्मीर राज्य को मिला विशेष दर्जा खत्म कर इसे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के रूप में दो केंद्र शासित राज्य बना दिए थे.

इसके बाद महीनों तक कश्मीर घाटी में संचार बंद रहा. स्कूल और दफ्तर नहीं खुल पाए थे.

सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य का दर्जा खत्म करने को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई की, लेकिन केंद्र सरकार के निर्णय को बनाए रखा.

हालांकि न्यायालय ने सरकार को पांच साल के अंदर विधानसभा चुनाव कराने का निर्देश भी जारी किया था.

इसके बाद जम्मू-कश्मीर में शांति बहाली और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने विशेष प्रयास किए.

साल 2023 में जी20 पर्यटन कार्य समूह की बैठक श्रीनगर में कराई गई. इसमें कई विदेशी प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया.

Getty Images डल झील में विधानसभा चुनाव 2024 का प्रचार करते उमर अब्दुल्लाह

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विशेष दर्जा हटाने के बाद 2024 में जम्मू-कश्मीर की पहली यात्रा की. इस दौरान उन्होंने कृषि और पर्यटन को समर्थन देने के लिए 64 अरब रुपए की परियोजनाओं की घोषणा की.

उन्होंने श्रीनगर में खचाखच भरे हॉल में कहा, "जम्मू-कश्मीर विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है क्योंकि यह अब खुलकर सांस ले रहा है. यह स्वतंत्रता अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद आई है, जो एक बाधा थी."

हालांकि पर्यटकों की संख्या को लेकर विपक्षी लगातार सवाल उठा रहे थे.

उमर अब्दुल्लाह ने 2022 में कहा था, "पर्यटन सामान्य स्थिति का नहीं बल्कि आर्थिक गतिविधि का बैरोमीटर है. सामान्य स्थिति का मतलब है डर न हो, आतंक न हो, आतंकी हमला न कर पाएं और लोकतांत्रिक शासन हो, लेकिन कश्मीर इस सामान्य स्थिति से दूर है."

"कश्मीर की ज़मीनी हक़ीक़त" Mehboob Hussain Mir. कश्मीर होटल और रेस्तरां एसोसिएशन के प्रदर्शन में महबूब हुसैन मीर (बाएं से दूसरे)

साल 2024 में हुए विधानसभा चुनावों के बाद उमर अब्दुल्लाह जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री चुने गए.

उमर अब्दुल्लाह ने पहलगाम हमले के बाद एक्स पर लिखा, "पहलगाम में हुए दुखद आतंकी हमले के बाद हमारे मेहमानों का घाटी से जाना दिल तोड़ने वाला है, लेकिन साथ ही हम यह भी पूरी तरह समझते हैं कि लोग क्यों घाटी छोड़ना चाहते हैं."

अनुच्छेद 370 के बाद शांति बहाली, हिंसा में कमी और पर्यटन में तेज़ी के दावों के बीच पहलगाम हमले के विरोध में कश्मीर होटल और रेस्तरां एसोसिएशन ने श्रीनगर में प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन का नेतृत्व कर लौटे महबूब हुसैन मीर कहते हैं, "यहां की ज़मीनी हक़ीक़त अब पूरे देश के सामने आ गई है."

उन्होंने कहा, "विशेष दर्जा हटाए जाने से पहले भी हमले हुए हैं और अब भी. यहां जब भी अशांति होती है, नुकसान स्थानीय लोगों को ही उठाना पड़ता है. सरकार को इसका समाधान निकालना चाहिए, नहीं तो हमारी ज़िंदगी बीच में ही लटकी रहेगी."

-श्रीनगर से बीबीसी संवाददाता माजिद जहांगीर के साथ

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