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बिहार: एक गधे की मौत और 55 लोगों पर मुक़दमा, क्या है मामला?

Getty Images गधे की मौत बीते सप्ताह बिजली के खंभे से करंट लगने से हुई थी (सांकेतिक तस्वीर)

बिहार के बक्सर ज़िले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जिसमें एक गधे की मौत के बाद 55 लोगों पर एफ़आईआर दर्ज की गई है.

गधे की मौत बीते सप्ताह बिजली के खंभे से करंट लगने से हुई थी. जिसके बाद पंचायत प्रतिनिधियों के साथ-साथ स्थानीय लोगों ने कथित तौर पर स्थानीय केसठ पावर ग्रिड में हंगामा किया.

केसठ पावर ग्रिड के जूनियर इंजीनियर अवनीश कुमार ने दावा किया, "इस हंगामे के चलते दो घंटे छब्बीस मिनट तक बिजली बाधित रही जिससे विभाग को 1,46,429 रुपये का नुकसान हुआ है."

उन्होंने कहा, "मैंने स्थानीय बासुदेवा थाने में सरकारी कामकाज में बाधा, राजस्व नुकसान और सरकारी कर्मी के साथ दुर्व्यवहार करने को लेकर प्राथमिकी दर्ज कराई है."

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यहाँ क्लिक करें क्या है मामला? Amjad रामपुर गांव के रहने वाले ददन रजक के एक गधे की मौत हो गई थी

ये घटना बक्सर ज़िले के केसठ ब्लॉक के रामपुर गांव की है. गांव के ददन रजक नाम के पास चार गधे थे. ददन इनका इस्तेमाल ईंट भट्ठे में ईंट आदि सामान ढोने के लिए करते हैं.

ददन रजक ने बताया, "11 सितंबर की शाम को मैं अपने चार गधों के साथ घर वापस लौट रहा था. गांव के बीचों बीच एक पोल है. बारिश के चलते वहां पानी जमा था."

उन्होंने बताया, "पोल के पास जैसे ही पहुंचे तो मेरे गधे पोल को छू गए. किसी तरह से गांव वालों की मदद से तीन गधों को निकाला लेकिन मेरा एक गधा मर गया."

गधे के मरने के बाद गांव वालों ने केसठ पॉवर ग्रिड पर जाकर प्रदर्शन किया. गांव वालों का कहना है कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण था. मौके पर पहुंचे प्रशासनिक अधिकारियों के साथ भी उनका समझौता हुआ.

लेकिन बिजली विभाग का दावा है कि 'पंचायत प्रतिनिधियों के साथ मिलकर गांव वालों ने केसठ पावर ग्रिड में हंगामा किया. साथ ही वहां मौजूद दो सरकारी कर्मी सुजीत कुमार और रवि कुमार को बंधक बनाकर बिजली काट दी.'

बाद में इस मामले में बिजली विभाग ने रामपुर पंचायत के मुखिया पति विकास चन्द्र पांडेय, विषुनदेव पासवान, मंजू कुमारी, आलमगीर, आफ़ताब अंसारी पर नामज़द और 50 अज्ञात के ख़िलाफ़ भारतीय न्याय संहिता और इलेक्ट्रिसिटी एक्ट की कई धाराओं में एफ़आईआर दर्ज कराई.

'सालभर में पांच जानवर मरे' Amjad ददन के पास अब तीन गधे ही बचे हैं

मुखिया पति विकास चन्द्र पांडेय पर नामज़द एफ़आईआर है. वो बताते हैं, "एक साल में उस पोल की वजह से पांच जानवर मर चुके हैं. हम लोग बार-बार बिजली विभाग से पोल का कनेक्शन दुरुस्त करने को कहते रहे हैं लेकिन बिजली विभाग लापरवाही करता है."

वो कहते हैं, "उस दिन (11 सितंबर) हम लोगों में से कोई पैनल रूम में गया ही नहीं तो बिजली बाधित कैसे हुई. बिजली तो वहां मौजूद कर्मचारियों ने बाधित की ताकि अंधेरा हो जाए और हम लोग प्रदर्शन नहीं कर पाएं."

हालांकि गांव वाले या पंचायत प्रतिनिधि बीबीसी को कोई लिखित शिकायत नहीं दिखा पाए जो उन्होंने बिजली विभाग को दी हो.

पंचायत सचिव आलमगीर अंसारी जिन पर एफ़आईआर है, उन्होंने कहा, "गांव का मेन ट्रांसफ़ॉर्मर का स्विच दो साल से ख़राब है. मैंने दो माह पहले ही जेई साहब को कहा था क्योंकि यहां पहले भी भुंअर यादव और हवलदार पासवान की भैंस मर चुकी है. लेकिन उन्होंने रजिस्टर में लिखवा लिया और कोई कार्रवाई नहीं की."

वहीं बिजली विभाग के जूनियर इंजीनियर अवनीश कुमार कहते हैं, "गांव वालों ने पहले कोई ऐसी शिकायत नहीं की है. उन्होंने गधा मरने के बाद शिकायत की जिसके बाद हमने पोल का तार ठीक करने के लिए बिजली मिस्त्री को भेजा. लेकिन ये लोग हंगामा करने लगे और इसके चलते आठ पंचायतों के पचास गांव अंधेरे में डूब गए."

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  • मामले की जांच जारी Amjad रामपुर गांव के इस मामले को प्रशासनिक हलकों में बड़ी दिलचस्पी से देखा जा रहा है

    बक्सर ज़िले के प्रशासनिक हलकों में इस मामले को बहुत दिलचस्पी से देखा जा रहा है. जैसा कि इंजीनियर अवनीश कुमार खुद कहते हैं, "बिहार में हमने इस तरह का मामला आज तक देखा ही नहीं."

    इस मामले में अभी तक किसी की गिरफ़्तारी नहीं हुई है. बासुदेवा थाना प्रभारी चुनमुन कुमारी बताती हैं, "अभी इस मामले में जांच जारी है."

    ददन रजक ने यह भी बताया कि उन्होंने 80 हज़ार रुपये कर्ज़ लेकर गधे ख़रीदे थे. रामपुर पंचायत में ईंट भट्ठे जब छह महीने के लिए ईंट उत्पादन करते हैं तभी उनको अपने चारों गधों के लिए रोज़ाना के 800 रुपये मिलते थे.

    दो मानसिक विकलांग बेटों के पिता ददन कहते हैं, "पिछले साल ही गधे ख़रीदे थे. अभी पोल में सटने से गधों को चोट लगी है, उनका इलाज भी चल रहा है. कोई कमाई नहीं हो रही. सरकार हमारे लिए क्या करेगी?"

    ऐसे मामलों में राज्य का बिजली विभाग 20 हज़ार से 40 हज़ार रुपये के बीच मुआवज़ा देता है. ददन को भी इस मुआवज़े का इंतज़ार है.

    बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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