सजा पूरी होने के बावजूद आठ महीने से बांग्लादेशी नागरिक जेल में बंद

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फारबिसगंज/अररिया। रिहाई के आदेश पर बावजूद भी दो बांग्लादेशी नागरिक पिछले आठ महीने से जेल में बंद हैं। न्यायाधीश ने दोनों बांग्लादेशियों को सजा पूरी होने के बाद रिहाई के आदेश दे दिए हैं, लेकिन अररिया जिला प्रशासन और गृह विभाग के ढुलमुल रवैये के कारण दोनों अपने वतन वापस नहीं लौट सके हैं। आज भी वो रिहाई के बावजूद सजा काट रहे हैं। अररिया जिले के भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र के नरपतगंज प्रखंड स्थित बसमतिया थाना क्षेत्र में एसएसबी और पुलिस ने एक कार्रवाई के दौरान 23 अगस्त 2020 को तीन बांग्लादेशी नागरिकों को सीमा क्षेत्र से गिरफ्तार किया था। एफआईआर के मुताबिक, 23 अगस्त 2020 को बेला वार्ड संख्या 5 स्थित श्याम सुंदर मंडल के घर के पास से नेपाल जाने के दौरान एसएसबी और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में ग्रामीणों के सहयोग से तीन बांग्लादेशी नागरिकों को पकड़ा गया था।


कार्रवाई के दौरान तत्कालीन बसमतिया थानाध्यक्ष परितोष कुमार दास भी मौजूद थे। तीनों बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान मसलेहुद्दीन मियां, दिलावर उर्फ दिलबर और अलामिन हुसैन के रूप में हुई थी। एसएसबी 56वीं बटालियन की नौवीं कंपनी के कमांडर जयशंकर पांडेय ने बसमतिया थाने में 23 अगस्त 2020 को को आईपीसी की धारा 420, 370, 34 और फाॕर्नर्स एक्ट 1946 की धारा 14(ए) के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई थी। मामले में 19 अक्टूबर 2020 को चार्जशीट दाखिल किया गया था, जिस पर कोर्ट ने 25 नवंबर 2020 को संज्ञान लिया और 12 मई 2023 को जिला व सत्र न्यायाधीश ने मामले में आरोप गठित की। आरोप साबित होने के बाद जिला व सत्र न्यायाधीश ने 16 जनवरी 2024 को मामले में अपना फैसला सुनाया। बांग्लादेशी नागरिकों को फाॕर्नर्स एक्ट 1946 में दोषी पाया गया और जिला जज ने 24 अगस्त 2020 से 16 जनवरी 2024 तक के जेल में बिताए समय को ही सजा करार देते हुए दस हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।

जुर्माना राशि की अदायगी नहीं करने पर 15 दिनों की अतिरिक्त सजा भुगतने का आदेश दिया। जिला व सत्र न्यायाधीश ने अपने फैसले में जजमेंट की कॉपी अररिया जिलाधिकारी, आरक्षी अधीक्षक, जेल अधीक्षक और जिला विधिक सेवा प्राधिकार को भी देते हुए बांग्लादेशी नागरिकों को उनके मुल्क बांग्लादेश भेजने के लिए जरूरी नियमानुकूल तरीका अपनाने का आदेश दिया था। बताया जाता है की बांग्लादेशी मसलेहुद्दीन मियां, नेपाल के सुनसरी में रहता था और वह जिले के बेला से दोनों को अपने साथ ले जाने के लिए आया था।

दिलावर और अलामिन बांग्लादेश से बॉर्डर पार कर कोलकाता पहुंचा था। फिर वहां से ट्रक द्वारा पूर्णिया और फिर ऑटो और दूसरी सवारी से अररिया जिले के बेला पहुंचा था। जहां बॉर्डर पार करने के दौरान तीनों एसएसबी और पुलिस के हत्थे चढ़ गए। इस संदर्भ में लीगल एंड डिफेंस काउंसिल के चीफ सह बार काउंसिल अररिया के पूर्व अध्यक्ष विनय कुमार ठाकुर ने बताया कि सजा पूरा होने के बाद भी कारा में बंद रहे दोनों बांग्लादेशियों का मामला मानवाधिकार हनन की श्रेणी में आता है। दोनों बांग्लादेशी ने अपनी सजा पूरी कर ली है और न्यायालय ने उन्हें रिहा कर दिया है। ऐसे में जिला प्रशासन और गृह विभाग की जिम्मेदारी बनती है कि बांग्लादेश के राजदूत से बात कर उन्हें उनके वतन भेज देना चाहिए।

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